मारवाड़ी परिवार में सातु़ड़ी तीज बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। मारवाड़ी परिवारों में इस त्योहार का विशेष महत्व है।
अमर प्रेम का यह त्योहार सातु़ड़ी तीज
अमर प्रेम का यह त्योहार मंगलवार की अर्धरात्रि से शुरू हुआ। और फिर बुधवार दिनभर भूखे रहकर इसी रात 10 बजे चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन किया जाता है।
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पति के हाथों ग्रहण किया सिंजारा
नेहा, शालिनी, ऋतु, मुक्ता, शीतल, सुरभि क्योटो ओर लष्मी ने चंद्रमा को अर्घ्य देकर सिंजारा तोड़कर व्रत का समापन किया।
सत्तू के आटे से बनता है सिंजारा
माहेश्वरी, ब्राह्मण एवं अन्य समाज की महिलाओं ने आठ दिन से ही त्योहार को लेकर सत्तू के आटे से सिंजारा बना लिया है। यह सिंजारा पति के हाथ से बुधवार की रात ग्रहण कर लिमडी माता की पूजा कर व्रत खोला खोला जाता है।
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चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन
मारवाड़ी परिवार में रिवाज है कि जिन युवकों की शादी इस वर्ष हुई हैं, उन्हें तीज के पर्व पर विशेष रूप से बुलाया जाता है। साथ ही बेटी वाले उसके ससुराल में भी विशेष रूप से सिंजारा सजाकर भेजते हैं।
यह व्यंजन गेहूं, चावल एवं चने के आटे से बनाया जाता है। इसमें घी और शकर का मिश्रण किया जाता है। इसकी सजावट महिला बड़े सुंदर तरीके से करती हैं। बाद में यह अपने-अपने रिश्तेदारों में भेजा जाता है।
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