अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में मणि पर्वत मेले के साथ सावन झूला का आगाज हो गया है। यहां कोरोना नियमों के पालन करते हुए श्रद्धालुओं को मेले में प्रवेश मिलेगा। मेला पूरे 12 दिनों तक चलने वाला है।
झांकियों को स्थगित कर दिया गया
हालांकि सावन झूला मेला में निकलने वाली झांकियों को स्थगित कर दिया गया है। लेकिन जन्मभूमि परिसर में श्रद्धालु जा सकेंगे।
बता दें कि, पहले जिला प्रशासन सीधे सावन मेले पर रोक लगाने की तैयारी में था लेकिन कोरोना केस कम होने के बाद गाइडलाइन की सख्ती के साथ मेला आयोजन की अनुमति दे दी गयी है।
मणि पर्वत पर आयोजित होता है सावन झूलनोत्सव
सावन झूलनोत्सव मणि पर्वत पर आयोजित होता है। इसके लिए प्रशासन ने पहले ही धारा 144 की तिथि बढ़ा दिया है। भक्तों को मंदिरों में दर्शन करने की अनुमति दी गई।
कोरोना महामारी को देखते हुए जिला प्रशासन ने मंगलवाार की रात से श्रद्धालुओं से राम की नगरी खाली कराई गई। देर रात प्रशासन ने मंदिरों से अपील की, कि अयोध्या में भीड़ न बढ़ने दिया जाए और बाहर से आए श्रद्धालुओं को समझा-बुझाकर प्रशासन ने वापस उनके घरों को भेजा गया।
सामूहिक सरयू स्नान की इजाजत नहीं
कोरोना की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए सावन मेले में बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने निर्णय लिया है कि, सामूहिक सरयू स्नान नहीं करने दिया जाएगा और इस पर सख्ती से पाबंदी भी लगाई गई है।
अब अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को नेगेटिव कोरोना की लेटेस्ट रिपोर्ट देना होगा। परंपरा को मंदिरों के अंदर ही निभाना रहेगा। मंदिर प्रबंधन मंदिर परिसर में ही भगवान को झूलोत्सव का आनंद कराएंगे।
मणि पर्वत पर भगवान के विग्रह को झूला झुलाया जाता है
सावन झूला मेला के प्रथम दिन सावन शुक्ल तृतीया को मणि पर्वत का प्राचीन मेला लगता है। अयोध्या के सभी प्रमुख मंदिरों के विग्रह मणि पर्वत जाते हैं। मणि पर्वत पर भगवान के विग्रह को झूला झुलाया जाता है। इस बार कोविड-19 देखते हुए अयोध्या के मंदिरों के विग्रह मणि पर्वत नहीं जाएंगे।
प्रशासन के अनुरोध पर मणि पर्वत पर मेले की दुकानें नहीं लगेगी। आज से सावन झूला मेला शुरू हो गया है। नगर के सभी मंदिरों में झूले पड़ेंगे, जहां भगवान झूलनोत्सव का आनंद लेंगे।
दो साल से राम की नगरी में मेलों पर पाबंदी लगी हुई थी
बताते चलें कि, कोविड-19 महामारी के चलते बीते दो साल से राम की नगरी में मेलों पर पाबंदी लगी हुई थी। इस वर्ष भी अयोध्या में श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है और पाबंदी का सख्ती से पालन कराया जा रहा है।