शुक्रवार को एक मानसिक दिव्यांग बालक जिसकी उम्र महज 12 वर्ष थी, वह एक क्यूआर कोड की मदद से अपने माता-पिता से मिल पाया। बृहस्पतिवार से वह बालक अपने मां-बाप से बिछड़ गया था और वह किसी को अपने घर का पता बताने में भी असमर्थ था।
तकनीकी की मदद से एक मानसिक दिव्यांग बालक अपने मां-बाप से मिल सका। 12 वर्षीय मानसिक दिव्यांग बालक बृहस्पतिवार को मुंबई के दक्षिण हिस्से कोलाबा में घूम रहा था। कुछ लोगों ने जब उसे देखा तो वह उनको सही नहीं लग रहा था। उन्होंने उससे बात की और उससे घर से पता जानने की कोशिश की। वह कुछ भी बताने में असमर्थ था। वे लोग उसे पुलिसकर्मी के पास ले गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आस-पास के सभी पुलिस स्टेशन लापता व्यक्ति के लिए अलर्ट भेजा गया। लेकिन वहां से कुछ पता नहीं चल सका।
लड़के के गले में मिला पेंटेंड
एक पुलिसकर्मी को उस लड़के के गले में एक पेंडेंट दिखा, जिस पर क्यूआर कोड था, मोबाइल फोन से उसे स्कैन करने पर एक फोन नंबर मिला। उस नंबर पर बात करने पर पता चला कि वह एक मानसिक दिव्यांग बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ का है। उन्होंने बात कर बालक का हुलिया बताया, उसकी फोटो भेजी, तब एनजीओ ने बालक का पता बताया। उन्होंने बताया कि बालक के मां-बाप भी उसको तलाश कर रहे हैं। उन्होंने बालक के अभिभावक को फोन कर पुलिस स्टेशन बुलाया और उसे उन्हें सुपुर्द कर दिया। बच्चे के खो जाने से मां को रो-रोकर बुरा हाल था।
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