झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का 30वां दीक्षांत समारोह आज बड़े ही गरिमामय माहौल में संपन्न हुआ। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए छात्रों को अनुशासन, निरंतर अध्ययन और शोध कार्यों के महत्व पर विशेष बल दिया।
राज्यपाल ने छात्रों से आह्वान किया कि वे केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित न रहें, बल्कि देश के विज़न और विकास यात्रा में सहभागी बनने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि किसी भी मार्गदर्शन या भाषण को सुनकर यह सीखने की आवश्यकता है कि उसमें से क्या ग्रहण करना है और उसे अपने जीवन में किस प्रकार उतारना है।
शोध और पुस्तकालय को बताया शिक्षा का अभिन्न अंग
महामहिम ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा केवल परीक्षाओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि पुस्तकालय के उपयोग और शोध कार्य छात्रों की दिनचर्या का आवश्यक हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुसंधान ही भारत को वैश्विक पटल पर शीर्ष स्थान दिलाने का माध्यम बनेगा।
राज्यपाल ने विशेष रूप से उन छात्रों को प्रोत्साहित किया जो सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि “आपके प्रयास ही नए भारत का भविष्य गढ़ेंगे।”
उपस्थिति पर जताई चिंता, 75% अनिवार्य करने की बात
दीक्षांत समारोह के दौरान महामहिम राज्यपाल ने छात्रों की उपस्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अक्सर यह देखा जाता है कि प्रथम वर्ष में छात्र नियमित कक्षाओं में उपस्थित रहते हैं, लेकिन आगे के वर्षों में उनकी संख्या लगातार घटती जाती है।
इस पर रोक लगाने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को कम से कम 75% उपस्थिति अनिवार्य करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो सीसीटीवी कैमरों तथा लैब अटेंडेंस सिस्टम के माध्यम से कड़ाई से निगरानी रखी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन छात्रों की उपस्थिति 75% से कम हो, उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
परीक्षा और शोध के बीच संतुलन की सीख
राज्यपाल ने कहा कि लगातार परीक्षाओं के दबाव के कारण छात्रों के पास पढ़ाई और शोध के लिए पर्याप्त समय नहीं बच पाता। इसलिए आवश्यक है कि छात्र समय प्रबंधन पर ध्यान दें और शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य को समझते हुए जीवन में अनुशासन और निरंतर अध्ययन को अपनाएं।
समापन
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का यह 30वां दीक्षांत समारोह छात्रों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन लेकर आया। महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का संदेश स्पष्ट था – “छात्र पढ़ाई को केवल डिग्री तक सीमित न रखें, बल्कि ज्ञान और अनुशासन से देश को आगे बढ़ाने में योगदान दें।”
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