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आर्मी पब्लिक स्कूल झाँसी छावनी में मिशन शक्ति अभियान फेस-5 के तहत आत्मरक्षा-स्वसुरक्षा कार्यशाला सम्पन्न

सामाजिक संस्था नवप्रभात की महिला प्रकोष्ठ एवं कृति अनुशासन निगरानी समिति के संयुक्त तत्वावधान में तथा वरिष्ठ जनों के दिशा-निर्देशन में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा संचालित मिशन शक्ति अभियान फेस-5 के अंतर्गत नारी सम्मान, नारी स्वावलंबन और नारी सुरक्षा के उद्देश्य से दो दिवसीय आत्मरक्षा-स्वसुरक्षा जनजागृति कार्यशाला “गुड टच-बैड टच” का आयोजन आर्मी पब्लिक स्कूल, झाँसी छावनी में किया गया।

यह कार्यशाला संस्था के महिला हेल्पलाइन “वेदना-एक दर्द/जनसंदेश” समूह की सक्रिय भागीदारी से सम्पन्न हुई। इस पहल का मुख्य उद्देश्य समाज में बढ़ते अपराधों के प्रति बच्चों और विशेषकर बालिकाओं को सजग बनाना तथा उन्हें आत्मरक्षा और स्वसुरक्षा के मूल बिंदुओं से अवगत कराना था।


कार्यशाला का शुभारंभ

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए समूह की वरिष्ठ संयोजिका रूपम अग्रवाल ने बच्चों को खिलौना गुड़िया के माध्यम से गुड टच और बैड टच की अवधारणा को सरल और सहज भाषा में समझाया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि घर-परिवार के सदस्यों और अपरिचित व्यक्तियों के बीच स्पर्श के विभिन्न रूपों को पहचानना बच्चों के लिए बेहद जरूरी है।

उन्होंने कहा कि—
“बच्चों को यह जानना आवश्यक है कि कौन-सा स्पर्श उनके लिए सुरक्षित (गुड टच) है और कौन-सा असुरक्षित (बैड टच)। जब भी बच्चे को असुरक्षा का अनुभव हो, उसे तुरंत अपने अभिभावक, शिक्षक या भरोसेमंद व्यक्ति को बताना चाहिए।”


संवाद और जिज्ञासाएँ

इस दौरान विद्यालय के विभिन्न कक्षाओं के शिक्षार्थियों ने कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी की। विद्यार्थियों ने एक-एक कर गुड टच-बैड टच से जुड़ी कई जिज्ञासाएँ व्यक्त कीं।
वरिष्ठ संयोजिकाओं ने बच्चों की मानसिक जिज्ञासाओं और मनोभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनके प्रश्नों का उत्तर बड़े धैर्य और सरलता से दिया।
इससे बच्चों में आत्मविश्वास जागृत हुआ और उन्हें यह अनुभव हुआ कि अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना ही सबसे बड़ा हथियार है।


“सजग शिक्षार्थी – सुरक्षित शिक्षार्थी” का संदेश

संस्था की महिला सदस्यों ने बच्चों को “सजग शिक्षार्थी-सुरक्षित शिक्षार्थी” की नीति अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने जीवन में सजगता को अपनाकर, आत्मरक्षा के छोटे-छोटे उपाय सीखकर, अपनी दिनचर्या को सुरक्षित और सशक्त बनाएं।


कार्यशाला का महत्व

यह आत्मरक्षा-स्वसुरक्षा कार्यशाला केवल जानकारी देने तक सीमित नहीं रही, बल्कि बच्चों को यह भी सिखाया गया कि—

  • कठिन परिस्थितियों में स्वयं को कैसे सुरक्षित करें।

  • परिजनों और शिक्षकों से बिना झिझक अपनी बात कैसे साझा करें।

  • समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा हेतु हर व्यक्ति की क्या जिम्मेदारी है।


निष्कर्ष

इस दो दिवसीय कार्यशाला ने बच्चों के मन में आत्मसुरक्षा के प्रति जागरूकता की एक मजबूत नींव रखी।
संस्था की पहल से यह स्पष्ट संदेश गया कि सजगता और आत्मरक्षा ही सुरक्षित समाज का आधार है।


👉 इस तरह की कार्यशालाएँ समाज में बच्चों, विशेषकर बालिकाओं, को आत्मनिर्भर बनाने और अपराधमुक्त राष्ट्र की दिशा में सार्थक कदम सिद्ध हो रही हैं।

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