पढुआ थाना क्षेत्र के गांव रमियाबेहड़ से एक अनोखे और विवादित प्रेम प्रसंग की कहानी सामने आई है, जिसने न सिर्फ गांव बल्कि आसपास के पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। घटना में शादीशुदा युवक और नाबालिक लड़की के बीच प्रेम संबंध, परिवारों में उलझन, पंचायत के तहत सुलह और अंततः एक शिव मंदिर में प्रेमी युगल की शादी कराए जाने का जटिल क्रम शामिल है। इस पूरे घटनाक्रम ने सामाजिक, नैतिक व कानूनी प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
प्रेम प्रसंग से विवाद तक:
रमियाबेहड़ गांव के निवासी गोकुल केंवट, जो कि पहले से ही विवाहिता है और उसकी शादी पांच वर्ष पहले हुई थी, लेकिन बताया गया कि उसकी पत्नी दो वर्ष पूर्व घर छोड़कर चली गई थी। गांव के ही एक अन्य परिवार से नाबालिक बेटी पलक (उम्र स्पष्ट नहीं की गई है, पर नाबालिक बताई गई) से गोकुल का प्रेम प्रसंग चल रहा था। यह प्रेम संबंध धीरे-धीरे गहरे रूप में बदल गया और गुरुवार दोपहर को गोकुल अपनी प्रेमिका पलक से मिलने उसके घर पहुंच गया।
इस दौरान पलक के परिजन गोकुल को पकड़ने में कामयाब रहे। दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे को लेकर विवाद शुरू हो गया और बात काफी देर तक ही चली। गांव में इस प्रकार का मामला बढ़ते तनाव का कारण बन सकता था, इसलिए मामला और बिगड़ने से पहले इलाके के कुछ संभ्रांत लोग बीच में आए।
पंचायत और “समाधान”:
गांव के कुछ प्रतिष्ठित बुजुर्गों ने मौके पर पंचायत बुलाई और दोनों पक्षों के बीच सुलह समझौता कराने की कोशिश की। बताया जाता है कि यह एक स्वजातीय मामला था, जिसके कारण गांव के समाजिक दबाव और “रोज़ाना के समझौते” की मानसिकता के तहत प्रबंध किया गया। पंचायत ने विवाद को “ठीक” करने के लिए ऐसा रास्ता निकाला कि गोकुल और पलक की शादी कर दी जाए—और यह शादी गांव के ही रामेश्वर नाथ शिव मंदिर में कराई गई।
यह विवाह किसी सरकारी या वैध विधि से प्रामाणिकता प्राप्त करने की हर तरह की जानकारी रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं है; नाबालिकता, पहले से विवाहिता गोकुल की स्थिति, तथा बिना बच्चे की सहमति और कानूनी प्रक्रिया के हो रहे विवाह पर सवाल खड़े होते हैं।
कानूनी पहलू और सरकारी कदम:
घटना प्रकाश में आने पर पलक की मां फूलन देवी की तहरीर पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। इंस्पेक्टर विवेक कुमार उपाध्याय ने बताया कि पलक को नाबालिक होने के कारण वन-स्टाप सेंटर भेज दिया गया है। वन-स्टाप सेंटर में उसे संरक्षण और आवश्यक काउंसलिंग दी जाएगी। इसके बाद न्यायालय में उसके बयान दर्ज किए जाएंगे, जो आगे की कार्रवाई में अहम भूमिका निभाएंगे।
कानूनी दृष्टि से देखें तो नाबालिक के साथ किसी भी प्रकार का विवाह या “समझौता” जबरन या दबाव में कराना, विशेष रूप से यदि उसकी सहमति को सही तरीके से स्थापित नहीं किया गया, तो वह बाल विवाह, उत्पीड़न, और संभवतः यौन उत्पीड़न के दायरे में आ सकता है। साथ ही, गोकुल की शादीशुदा स्थिति और उसकी पत्नी के बिना विभाजन या परिणामी कानूनी तलाक की जानकारी का अभाव भी इसे और अधिक जटिल बनाता है।
गांव की प्रतिक्रिया और सामाजिक बहस:
इस विवादित “शादी” की खबर फैलते ही गांव में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोग इसे “समझौता” और “शांतिपूर्ण समाधान” बताकर सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कईयों ने इसे समाजिक दबाव में की गई अनैतिक व गैरकानूनी पहल के तौर पर देखा।
कई ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के मामलों में बगैर सही कानूनी मार्ग अपनाए सिर्फ सामाजिक दबाव से “निपटारा” करने से समस्या जटिल होती है और बाद में पीड़ित (खासकर नाबालिक लड़की) को मानसिक व सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचता है। अन्य ओर कुछ लोगों ने “स्वजातीय” होने का हवाला देते हुए इसे पारिवारिक मामला बताया और पंचायत के निर्णय को सही ठहराने की बात कही।
कानूनी और सामाजिक सलाह:
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में पंचायत या गैर-प्रामाणिक तरीकों से विवाह कराना, जिससे नाबालिकता या विवाहिता व्यक्ति की परिस्थिति को अंग्रेज़ी में “legal compliance” के साथ सुलह न मिलती हो, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बाल संरक्षण अधिनियम, बाल विवाह निषेध कानून, और विवाहिता/तलाकशुदा संबंधों में पारिवारिक स्थिति के प्रावधानों के अंतर्गत कानूनी सलाह और अदालत की प्रक्रिया का पालन जरूरी है।
आगे की प्रक्रिया:
पुलिस रिपोर्ट व वन-स्टाप सेंटर में भेजे जाने के बाद, अब आगे का फोकस न्यायालय में किशोरी के बयान लेने, उसके परिवार व गोकुल के बीच संबंधों की जांच, और यह निर्धारित करने पर रहेगा कि क्या इस “विवाह” को वैध माना जा सकता है या नहीं। यदि न्यायालय को लगे कि विवाह दबाव या गलत जानकारी पर आधारित था, तो उसे रद्द किया जा सकता है और गोकुल के खिलाफ नाबालिक के साथ अनुचित संबंध व संबंधित अपराधों के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
Hind News 24×7 | हिन्द न्यूज़ Latest News & Information Portal