रायबरेली जनपद की सदर तहसील क्षेत्र के अटौरा बुजुर्ग गांव निवासी रामपति देवी, जिनकी उम्र लगभग 70 वर्ष है, अब अपने खुद के घर का सपना साकार होता देख रही हैं। वर्षों से अपने आशियाने के लिए संघर्ष कर रही रामपति को आखिरकार प्रशासन की ओर से बड़ी राहत मिली है। रायबरेली की जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने उन्हें 50 वर्ग मीटर का आवासीय पट्टा प्रदान किया है, जिससे उन्हें उनके अपने घर के लिए कानूनी जमीन का मालिकाना हक मिल गया है।
इस मौके पर जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने जानकारी देते हुए बताया कि रामपति देवी तहसील दिवस के दौरान अपनी समस्या लेकर आई थीं। महिला ने अधिकारियों के समक्ष अपने रहने के लिए आवास न होने की बात कही थी। जिलाधिकारी ने तत्परता दिखाते हुए राजस्व विभाग को निर्देश दिया, और जांच के बाद रामपति को उनके गांव में आवासीय पट्टा प्रदान कर दिया गया।
कानूनन अधिकार और सुरक्षा
इस पट्टे के मिलने से अब रामपति को अपने आवास निर्माण व उसके रखरखाव को लेकर कानूनी अधिकार प्राप्त हो गए हैं। अब वह जमीन पर किसी तरह के विवाद या अतिक्रमण की चिंता किए बिना घर बना सकती हैं। यह सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि उनके जीवन में स्थिरता और सुरक्षा का आधार है।
प्रधानमंत्री आवास योजना से भी जुड़ेंगी रामपति
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि रामपति को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत लाभ दिलाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जरूरी दस्तावेज और प्रक्रिया पूरी होते ही रामपति को योजना का पूरा लाभ मिलेगा और जल्द ही उनका पक्का घर भी बनकर तैयार हो जाएगा।
बुजुर्ग महिला की आंखों में छलकी खुशी
रामपति देवी की आंखों में आंसू थे, लेकिन इस बार ये आंसू पीड़ा के नहीं, बल्कि राहत और खुशी के थे। उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी उम्र के इस पड़ाव में मुझे अपनी जमीन मिलेगी। अब मुझे लग रहा है कि मेरा भी एक घर होगा, जिसमें मैं चैन से रह सकूंगी।”
प्रशासन की संवेदनशीलता बनी मिसाल
इस पूरी प्रक्रिया में रायबरेली प्रशासन की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई की काफी सराहना हो रही है। जिलाधिकारी हर्षिता माथुर द्वारा तहसील दिवस पर आए लोगों की समस्याओं को गंभीरता से सुनना और तत्काल समाधान देना प्रशासनिक सेवा की एक अनुकरणीय मिसाल है।
निष्कर्ष
रामपति देवी को आवासीय पट्टा और प्रधानमंत्री आवास योजना का आश्वासन मिलना यह दर्शाता है कि सरकार की योजनाएं जरूरतमंदों तक पहुंच रही हैं। इस एक फैसले ने रामपति जैसे कई गरीबों को उम्मीद दी है कि अगर उनकी आवाज सही मंच पर उठती है, तो सिस्टम भी उनका साथ देता है। अब रामपति सिर्फ एक घर नहीं बना रहीं, बल्कि अपने बचे हुए जीवन के लिए एक नई उम्मीद, एक नई पहचान और एक नई कहानी भी गढ़ रही हैं।
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