महराजगंज। एक तरफ खेतों में धान की फसल खड़ी है, दूसरी तरफ किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि बारिश में भीगते हुए भी किसान लम्बी-लम्बी कतारों में खड़े हैं, लेकिन फिर भी उन्हें यूरिया नहीं मिल पा रही। महराजगंज तराई के मथुरा बाजार समिति की तस्वीरें किसानों की बेबसी को साफ बयां कर रही हैं।
सिर्फ 300 बोरी, हजारों किसान मायूस
सोमवार को जब बड़ी संख्या में किसान समिति पहुंचे तो उन्हें उम्मीद थी कि अब उनकी फसल को राहत मिलेगी। लेकिन हकीकत यह रही कि समिति में सिर्फ 300 बोरी यूरिया उपलब्ध थी। सवाल उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में किसानों को सिर्फ 300 बोरी से आखिर कैसे राहत मिल सकती है?
टोकन मिला अगस्त में, लेकिन सितंबर में भी खाद नहीं
किसानों ने बताया कि उन्हें यूरिया लेने के लिए 22 अगस्त को टोकन मिला था। अब सितंबर आ गया है, लेकिन उन्हें अभी तक खाद नहीं मिल सकी। किसान हर दिन समिति के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ इंतजार ही मिल रहा है।
अधिकारियों का दावा – जल्द पहुंचेगा स्टॉक
अधिकारियों का कहना है कि स्टॉक जल्द पहुंच जाएगा और किसानों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। लेकिन किसानों का दर्द यह है कि खेतों में खड़ी फसल समय पर खाद नहीं मिलने से सूखने लगी है। ऐसे में “जल्द” आने वाले स्टॉक का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
किसानों की मजबूरी – खेत और आसमान दोनों से जंग
धान की फसल का समय निकलता जा रहा है। किसान मजबूरी में कतार में खड़े हैं, बारिश में भीग रहे हैं, और दूसरी ओर उन्हें यह डर सता रहा है कि कहीं खाद की कमी से उनकी पूरी मेहनत पर पानी न फिर जाए।
बड़ा सवाल
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आखिर किसानों को समय पर यूरिया क्यों नहीं मिल पा रही?
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टोकन बांटने के बाद भी वितरण में इतनी देरी क्यों?
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अगर स्टॉक नहीं है, तो किसानों को आश्वासन क्यों दिया गया?
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क्या खाद की कमी से धान की फसल चौपट हो जाएगी?
👉 किसानों का दर्द साफ है – उनकी मेहनत और फसल दोनों खतरे में हैं। प्रशासन का दावा कब तक हकीकत में बदलेगा, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।
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