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बच्चों की परवरिश के लिए सैनिक की विधवा ने धोए जूठे बर्तन, छह साल कोर्ट के चक्कर लगाने के बाद मिला मुआवजा

सैनिक की विधवा ने छह साल की दौड़-भाग की और कोर्ट के चक्कर लगाए जिसके बाद उन्हें 25 लाख रुपये का मुआवजा मिला। सैनिक की ड्यूटी पर जाते समय बालकनी से गिर गए थे। गंभीर रूप से घायल होने पर उनकी मौत हो गई।ड्यूटी के लिए तैयार होते समय पैर फिसलने पर सरकारी क्वार्टर की बालकनी से गिरकर जान गंवाने वाले गोरखा रायफल्स में राइफलमैन प्रसन्ना राय की पत्नी निकिता राय को मुआवजा पाने के लिए करीब छह साल अफसरों और कोर्ट के चक्कर काटने पड़े। तीन छोटे बच्चों की परवरिश के लिए उन्हें रेस्टोरेंट का संचालन करते हुए ग्राहकों के जूठे बर्तन तक धोने पड़े। आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल की लखनऊ बेंच के 25 लाख मुआवजा देने के फैसले से उन्हें राहत जरूर मिली है, लेकिन इसे पाने के लिए उन्होंने जो कष्ट झेले, उसे याद कर उनकी आंखें आंसू से बोझिल हो जाती हैं।निकिता ने अमर उजाला को फोन पर बताया कि वर्तमान में वह दार्जिलिंग के कलिंपोंग शहर स्थित ससुराल में दो बेटी एंजिल राय (18), आसना राय (16) और बेटे अनिक राय (14) के साथ रह रही हैं। 2018 में पति की मृत्यु के बाद वह दार्जिलिंग चली गई थीं। बताया कि नियमानुसार उन्हें 25 लाख रुपये मुआवजा मिलना चाहिए था, लेकिन नहीं दिया गया। चार साल चक्कर काटने के बाद उन्हें मजबूरन आर्म्ड  फोर्सेज ट्रिब्यूनल में मुकदमा दायर करना पड़ा।

तीन बच्चों की पढ़ाई और परवरिश सिर्फ पेंशन से नहीं चल पा रही थी, लिहाजा दार्जिलिंग में उन्होंने रेस्टोरेंट खोला। एक साल पहले छोटे बेटे को पीलिया हो गया। इलाज में काफी पैसे खर्च हुए। दो लाख का कर्ज भी लेना पड़ा। दार्जिलिंग से लखनऊ पैरवी के लिए आने-जाने में चार दिन लगते थे। बच्चों को अकेला या फिर ननिहाल में छोड़कर आना पड़ता था।

ये है पूरा मामला: न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता और आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में निकिता राय को 25 लाख रुपये एक्स ग्रेटिया मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह आदेश मेजर जनरल संजय सिंह की पीठ ने सुनाया। 31 अगस्त 2018 को लखनऊ स्थित सरकारी आवास की बालकनी से ड्यूटी के लिए निकलते समय प्रसन्ना राय का पैर फिसल गया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई। एक सितंबर को कमांड अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ने यह हादसा सैन्य सेवा से संबंधित माना। इसके बावजूद पीसीडीए (पेंशन) प्रयागराज ने दो बार मुआवजे का प्रस्ताव खारिज कर दिया।

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