देहरादून में कैंट रोड व खलंगा में हरे पेड़ काटे जाने पर बेशक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रोक लगा दी हो, लेकिन पर्यावरण प्रेमियों की चिंता अभी कम नहीं हुई है। दून में हरे पेड़ों को विकास की भेंट चढ़ने से कैसे रोका जाए, इसी संकल्प के साथ आज दिलाराम बाजार से सेंट्रियो मॉल तक पर्यावरण बचाओ पदयात्रा निकाली गई।
पदयात्रा में कई विभिन्न संगठनों के पर्यावरण प्रेमी एकत्रित हुए। पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि हरियाली को होने वाले नुकसान से देहरादून का तापमान लगातार बढ़ रहा है। यहां के बाग-बगीचे खत्म हो गए और जलस्रोत सूख गए हैं।
कहा कि नदी-नालों पर अतिक्रमण हो गया है। सड़कों के चौड़ीकरण के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है। सरकार को पेड़ों को काटने से बचाना होगा। पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा कहते हैं, अगर इसी तरह पेड़ों काे काटा जाता रहा तो 2047 में विकसित भारत बनने का सपना तो छोड़िए 2037 तक ये दून घाटी हरियाली विहीन हो जाएगी।
एक्टिविस्ट हिमांशु अरोड़ा कहते हैं, जंगलों को काटकर कंक्रीट का जंगल बना दिया गया है। दून का तापमान अगर 50 डिग्री तक चला जाए तो हैरान नहीं होना चाहिए। इरा चौहान ने कहा, देहरादून में बढ़ते तापमान को रोकने के लिए नए पौधे लगाने होंगे और पुराने पेड़ों की रक्षा करनी होगी।
यह पदयात्रा इसी संकल्प के साथ निकाली गई है। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिर कहा कि न्यू कैंट रोड का चौड़ीकरण होगा लेकिन बिना पेड़ काटे।
मीडियाकर्मियों ने उनसे सड़क के चौड़ीकरण में पेड़ों को काटे जाने के संबंध में प्रश्न किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जितना जरूरी है उतना सड़क का चौड़ीकरण होगा, लेकिन बिना पेड़ काटे।
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