दिल्ली में एक तरफ पानी का संकट बना हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ बीते दस सालों से जीराबाद जल शोधन संयंत्र से गाद निकालने का काम नहीं हुआ है। इसी सिलसिले में आईएफसी मंत्री सौरभ भारद्वाज अधिकारियों के साथ यमुना नदी से गाद निकालने के काम का निरीक्षण करेंगे। आज असिता ईस्ट के आईटीओ बैराज पर जाएंगे।
यमुना के जलाशय में गाद
दिल्ली में वजीराबाद जल शोधन संयंत्र को छोड़कर सभी संयंत्र अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं। वजीराबाद संयंत्र यमुना में वजीराबाद बैराज के पीछे बने जलाशय से पानी लेता है। पिछले दस सालों में यहां से गाद नहीं निकाली गई। नतीजतन इसकी गहराई 4.26 मीटर से घटकर 0.42 मीटर रह गई है। इससे पानी की क्षमता में 90 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसके अलावा लंबित चंद्रावल संयंत्र और द्वारका संयंत्र के चालू न हो पाने पर भी बैठक में चर्चा की गई।
58 फीसदी पानी शहर में हो रहा बर्बाद
शहर में करीब 54 फीसदी बर्बाद हो रहा है। इसमें 40 फीसदी पानी जल बोर्ड की पाइप से रिसाव व 18 फीसदी चोरी की वजह से होता है। बैठक में इस पर मंत्री ने सहमति जताते हुए कहा कि इसके लिए जल्द ही जल बोर्ड ठोस कार्य योजना तैयार करेगा।
एलजी ने मंत्रियों को सलाह दी कि बेकार के आरोप-प्रत्यारोप में न पड़ें। दिल्ली में पानी शोधन की क्षमता पर्याप्त नहीं है। हरियाणा को अपने आवंटित हिस्से से ऊपर अतिरिक्त पानी दे दे, तब भी कुछ खास बदलाव नहीं होगा। मौजूदा समय में ही मूनक नहर में मरम्मत और चोरी आदि के अलावा दिल्ली के शहरी क्षेत्र में 54 प्रतिशत पानी बर्बाद हो रहा है। जल संकट की बड़ी वजह यह है। इसको रोकने से पेयजल की समस्या दूर होगी।
हिमाचल से करें चर्चा
बैठक में कहा गया कि हिमाचल ने 137 क्यूसेक पानी अतिरिक्त रूप से यमुना में छोड़ा या नहीं, इसका अभी तक पता नहीं चला है। एलजी ने मंत्री से इस संबंध में हिमाचल प्रदेश की सरकार के साथ बातचीत करने को कहा है।
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