उन्नाव से बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां खरीफ मौसम 2025 के लिए कृषि विभाग की ओर से शुरू किए जा रहे डिजिटल क्रॉप सर्वे का पंचायत सहायकों ने खुलकर विरोध किया है। पंचायत सहायकों का कहना है कि क्रॉप सर्वे कृषि विभाग का काम है, पंचायती राज विभाग का नहीं। उन्होंने इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा और जिम्मेदारों से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की।
सोमवार को पंचायत सहायक यूनियन के प्रतिनिधियों ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान यूनियन की महिला व पुरुष पंचायत सहायकों ने साफ कहा कि यह काम उनकी जिम्मेदारी में नहीं आता। अंजली, मानसी, सृष्टि, पूनम और सुलेखा समेत कई पंचायत सहायकों ने साफ शब्दों में कहा कि वे डिजिटल क्रॉप सर्वे का काम करने में सक्षम नहीं हैं।
पंचायत सहायकों ने इसके पीछे पांच प्रमुख कारण गिनाए।
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उनके पास इतने उच्च क्षमता वाले स्मार्टफोन और जीपीएस उपकरण उपलब्ध नहीं हैं।
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ग्राम पंचायत सचिवालय में वे अकेले कर्मचारी होते हैं, ऐसे में उनकी अनुपस्थिति में सचिवालय का काम ठप पड़ जाएगा।
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उन्हें इस अतिरिक्त काम के लिए मिलने वाली प्रोत्साहन राशि बेहद कम है।
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वे पहले से ही कई जिम्मेदारियों का बोझ उठा रहे हैं, जैसे सचिवालय संचालन, जनसेवा केंद्र प्रबंधन, पत्राचार और रिकॉर्ड सुरक्षित रखना।
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तकनीकी संसाधनों और प्रशिक्षण की भारी कमी है, जिससे सर्वे का काम सही तरीके से संभव नहीं हो पाएगा।
यूनियन का कहना है कि क्रॉप सर्वे का काम सीधे कृषि विभाग द्वारा ही किया जाए, या फिर इसके लिए अलग से निजी सर्वे कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए।
इस दौरान पंचायत सहायकों ने सरकार पर यह भी सवाल खड़े किए कि जब विभागीय संसाधन ही उपलब्ध नहीं कराए जा रहे, तो बिना तकनीकी साधनों के डिजिटल क्रॉप सर्वे कैसे संभव है।
बाइट – शिखा सिंह, पंचायत सहायक, बांगरमऊ
“हम पंचायत सहायक हैं, हमारी जिम्मेदारी पंचायत सचिवालय के कामों की है। क्रॉप सर्वे कृषि विभाग का काम है। हमारे पास न तो जीपीएस उपकरण हैं और न ही उच्च क्षमता वाले मोबाइल फोन। इस स्थिति में हमसे यह काम कराना नाइंसाफी है।”
बाइट – बृजेंद्र पाल, पंचायत सहायक, बिछिया ब्लॉक
“हम पहले से ही सचिवालय संचालन, जनसेवा केंद्र और रिकॉर्ड प्रबंधन का काम करते हैं। अब अगर हम क्रॉप सर्वे करने लगेंगे तो बाकी काम प्रभावित होंगे। सरकार को चाहिए कि यह जिम्मेदारी कृषि विभाग के कर्मचारियों या निजी सर्वे टीमों को ही दी जाए।”
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