प्रयागराज में गंगा और यमुना के जलस्तर में मंगलवार को थोड़ी गिरावट दर्ज की गई लेकिन खतरा बरकरार है। फाफामऊ में शाम तक गंगा खतरे के निशान (84.738 मीटर) से ऊपर 85.99 मीटर पर रहीं। वहीं नैनी में यमुना नदी का जलस्तर 85.79 मीटर रिकॉर्ड किया गया।
गंगा और यमुना का जलस्तर भले ही कम होने लगा है लेकिन खतरा बरकरार है। साथ ही बाढ़ की चपेट में आई करीब पांच लाख की आबादी की दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं। हालात यह है कि लोगों के सामने भोजन-पानी का संकट खड़ा होने लगा है।
वहीं, राहत शिविरों में शरणार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन हाई अलर्ट मोड पर है। मंडलायुक्त व डीएम ने मंगलवार को व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर तैयारियां परखीं।यमुना के जलस्तर में गिरावट सोमवार शाम से ही शुरू हो गई थी जो मंगलवार को भी जारी रही। सिंचाई विभाग को मंगलवार की शाम की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना में गिरावट प्रति घंटे 075 सेमी दर्ज की गई है। वहीं, फाफामऊ में गंगा के जलस्तर में भी प्रति घंटे एक सेमी की गिरावट दर्ज की गई। इसका नतीजा यह रहा कि गंगा का जलस्तर शाम पांच बजे के करीब 86 मीटर से नीचे चला गया। राहत की बात यह भी रही कि गंगा व यमुना का जल तेजी से निकल रहा है। इसका नतीजा रहा कि छतनाग में जलस्तर में प्रतिघंटे तीन सेमी की गिरावट दर्ज की गई। दोनों नदियों के जलस्तर में गिरावट को लेकर सिंचाई विभाग के अफसरों के संकेत सकारात्मक हैं। अधिशासी अभियंता दिग्विजय सिंह का कहना है कि फिलहाल दोनों नदियों के जलस्तर में गिरावट जारी रहने की उम्मीद है।
गंगा-यमुना में बाढ़ की स्थिति (6 अगस्त सुबह 8 बजे तक)
खतरे का निशान 84.734 है।
यमुना का जलस्तर 85.31 रिकॉर्ड किया गया। करीब एक मीटर पानी कम हुआ है।
गंगा का जलस्तर 85.74 सेंटीमीटर रिकॉर्ड किया गया। जलस्तर करीब आधा मीटर पानी कम हुआ है। अब खाने-पीने के भी लाले
बाढ़ की अवधि बढ़ने के साथ इसमें फंसे लोगों की दुश्वारियां भी बढ़ती जा रही है। बाढ़ पीड़ितों के बीमार पड़ने की शिकायतें बढ़ने के साथ ही भोजन-पानी का भी गंभीर संकट पैदा हो गया है। प्रशासन की ओर से मंगलवार को अलग-अलग क्षेत्रों में भोजन के पैकेट और राहत सामग्री वितरित कराई गई लेकिन यह नाकाफी साबित हुई। सलोरी के रमेश पुरोहित, छोटा वघाड़ा में फंसे दुर्गेश कुशवाहा, म्योराबाद की रंगीता आदि बाढ़ का दंश झेलने को मजबूर हैं।
नाकाफी साबित हो रहीं नावें और मोटर बोट
बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने और लाने-ले जाने के लिए 323 नावें व तीन मोटर बोट लगाई गई हैं। सदर तहसील के अंतर्गत 133 नावें चलाई जा रही हैं लेकिन इनका लाभ सभी प्रभावितों को नहीं मिल पा रहा है। कई क्षेत्रों में नावें पहुंच ही नहीं पा रही हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन की ओर से खाने के पैकेट, लाई-चना समेत अन्य राहत सामग्री पहुंचाई गई लेकिन यह नाकाफी साबित हुई। लोग कंट्रोल रूम के अलावा अन्य लोगों को लगातार फोन करते रहे लेकिन मदद नहीं मिली।
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