पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट में 10 लोगों की मौत की घटना को भयावह करार देते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि यह इस बात का संकेत है कि राज्य ‘हिंसा एवं अराजकता’ की संस्कृति की गिरफ्त में है. वहीं केंद्रीय गृहमंत्रालय ने बीरभूम की घटना पर पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है. घटना पर जगदीप धनखड़ का बयान आने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एतराज जताते हुए उन्हें एक पत्र लिखा है. रामपुरहाटी बीरभूम घटना पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से अनुचित बयान देने से परहेज करने और प्रशासन को निष्पक्ष जांच करने की अनुमति देने का आग्रह किया है.”
राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में बनर्जी ने कहा कि राज्य प्रशासन ने तत्काल कदम उठाए हैं और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हाकिम को स्थिति का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पर भेजा गया है. सीएम ने कहा, “निष्पक्ष जांच का मार्ग प्रशस्त करने के बजाय व्यापक और अनावश्यक बयान देना बेहद अनुचित है.” उन्होंने कहा, “इस तरह के सम्मानजनक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के लिए यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अशोभनीय है.” बनर्जी ने राज्यपाल पर निशाना साधा और कहा कि जब भाजपा शासित राज्यों में “बहुत अधिक घृणित” घटनाएं होती हैं तो वह चुप रहना पसंद करते हैं.
इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव से शीघ्र ही इसके संबंध में जानकारियां मांगी है. कोलकाता से करीब 220 किलोमीटर दूर बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में तृणमूल कांग्रेस के उपपंचायत प्रमुख की हत्या के बाद कुछ घरों में कथित रूप से आग लगा दी गयी जिससे आठ लोगों की जलकर मौत हो गई. राज्यपाल ने ट्वीट किया, ‘‘ बीरभूम के रामरपुरहाट में भयावह हिंसा और आगजनी इस बात का संकेत है कि राज्य हिंसा की संस्कृति एवं अराजकता की गिरफ्त में है.’’ उन्होंने कहा कि यह घटना राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था का संकेत है. उन्होंने इस ट्वीट के साथ टीवी पर प्रसारित संदेश में कहा, ‘‘ प्रशासन को दलीय हित से ऊपर उठने की जरूरत है जो आगाह किए जाने के बाद भी हकीकत में नजर नहीं आ रही है.’’
पुलिस से इस मामले की जांच पेशेवर ढंग से करने का आह्वान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव को इस घटना के बारे में तत्काल उन्हें जानकारियां भेजने को कहा है. धनखड़ ने कहा, ‘‘इस मामले के बाद, अपने आप को इस निष्कर्ष पर पहुंचने से रोक पाना बड़ा मुश्किल है कि पश्चिम बंगाल में मानवाधिकार धूल चाट रहा है एवं कानून के शासन की नैया पलट गयी है.’’ राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मनोज मालवीय ने बताया कि यह घटना सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पंचायत स्तर के एक नेता की कथित हत्या के कुछ घंटों के भीतर हुई. डीजीपी मालवीय ने कहा कि एक जले हुए मकान से सात लोगों के शव बरामद किए गए, जबकि गंभीर रूप से झुलसे हुए एक घायल व्यक्ति की अस्पताल में मौत हो गई. उन्होंने कहा कि इस घटना के सिलसिले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि बरशाल गांव के पंचायत उप प्रमुख एवं तृणमूल कांग्रेस के नेता भादु शेख की सोमवार रात करीब साढ़े आठ बजे हत्या कर दी गयी थी. तृणमूल के नेता की हत्या के फौरन बाद रामपुरहाट शहर के बाहरी इलाके में स्थित बोगतुई गांव में कथित तौर पर कम से कम आठ घरों में आग लगा दी गई थी. ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ लोगों ने अपने नेता की हत्या के प्रतिशोध में मकानों में आग लगा दी. पुलिस महानिदेशक ने कहा, “स्थिति अब पूरी तरह से नियंत्रण में है और कल रात से गांव में एक पुलिस चौकी स्थापित की गयी है. हम जांच कर रहे हैं कि गांव के मकानों में आग कैसे लगी और क्या यह घटना बरशाल गांव के पंचायत उप प्रमुख की मौत से संबंधित है. प्रारंभिक जांच में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि निजी शत्रुता के कारण उनकी हत्या की गयी है.“
घटनास्थल से 10 लोगों के शव बरामद होने के कुछ दमकल अधिकारियों के दावों के बारे में पूछे जाने पर शीर्ष पुलिस अधिकारी ने स्पष्ट किया कि आग पर काबू पाने के बाद सात लोगों के शव बरामद किए गए थे जबकि गंभीर रूप से झुलसे हुए तीन लोगों को निकाला गया, जिनमें से एक की अस्पताल में मौत हो गयी थी. डीजीपी ने कहा कि एसडीपीओ और रामपुरहाट थाने के प्रभारी को सक्रिय पुलिस ड्यूटी से हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एडीजी (सीआईडी) ज्ञानवंत सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भी स्थिति का जायजा लेने के लिए मंत्री फिरहाद हकीम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय विधायक दल को मौके पर भेजा है.
इस घटना के साथ राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर और नेताओं के बीच जुबानी जंग भी शुरू हो गयी है. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने राज्य सरकार पर इस मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. बंगाल में भाजपा के नेता मनोज तिग्गा ने कहा, “हम टीएमसी की सरकार के इस तरह के प्रयास की निंदा करते हैं. बंगाल में फैल रही अराजकता राज्य को राष्ट्रपति शासन की ओर धकेल रही है.” माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि तृणमूल के गुंडों द्वारा इतने सारे निर्दोष लोगों की हत्या निंदनीय है. टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि आग आकस्मिक थी और इस संबंध में प्रशासन ने आवश्यक कार्रवाई की है.