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रोडवेज बस में ड्यूटी और गोद में बच्चा… उरई की महिला परिचालक की मार्मिक तस्वीर ने पूरे प्रदेश को झकझोरा

उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने न केवल पूरे प्रदेश बल्कि देश भर के लोगों को भावुक कर दिया है। यह कहानी है एक मां की—जो अपने एक साल के मासूम को गोद में लेकर रोडवेज बस में परिचालक की ड्यूटी कर रही है। इस महिला परिचालक का नाम निधि तिवारी है, और वह उरई डिपो में तैनात है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में दिखाई दे रहा है कि निधि तिवारी कानपुर–झांसी जैसे लंबी दूरी वाले रूट पर रोडवेज बस में टिकट काटती हैं, यात्रियों को संभालती हैं और साथ ही गोद में बच्चा लेकर सफर भी करती हैं। एक तरफ वह नौकरी की जिम्मेदारी निभा रही हैं, दूसरी तरफ एक मां के रूप में अपने मासूम की सुरक्षा, देखभाल और पालन-पोषण भी कर रही हैं। यह दृश्य किसी को भी भावुक कर देने के लिए काफी है।

मां का संघर्ष कैमरे में कैद

वीडियो में साफ दिखता है—एक हाथ में टिकट मशीन, दूसरे हाथ में बच्चा। यात्रियों से किराया लेना, बदलाव देना, रूट देखना और फिर बच्चे को थामे रहना… इन सबके बीच निधि का चेहरा पूरी मजबूरी और जिम्मेदारी की कहानी खुद बयान करता है।

प्रशासन की नीतियों पर उठे सवाल

वीडियो सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में बहस छिड़ गई है—
क्या सिस्टम ने एक महिला के लिए कोई सुरक्षित विकल्प नहीं छोड़ा?
क्या कार्यालयी ड्यूटी या नजदीकी पोस्टिंग उपलब्ध नहीं कराई जा सकती?
क्या मजबूरी इतनी बड़ी है कि एक साल का बच्चा भी मां के साथ रोज 200–300 किलोमीटर का सफर करने को मजबूर हो?

लोगों का सवाल है—
“जब सरकारी विभागों में मातृत्व अवकाश, विशेष रियायतें और महिला सुरक्षा के प्रावधान हैं, तो फिर यह महिला परिचालक क्यों सड़क पर संघर्ष कर रही है?”

निधि तिवारी की बाइट (अभिव्यक्ति)

मां निधि तिवारी कहती हैं कि—
“बच्चा छोटा है, घर पर छोड़ नहीं सकती। नौकरी भी जरूरी है। जो जिम्मेदारी मिली है, वही निभा रही हूँ। लेकिन चाहती हूँ कि मुझे ऐसी ड्यूटी मिले जिससे बच्चे को कम परेशानी हो।”

उनकी यह बात न केवल दर्द दिखाती है बल्कि उस सच्चाई को भी बताती है, जिससे हजारों वर्किंग मदर्स रोज गुजरती हैं।

लोगों में आक्रोश, सरकार से कार्रवाई की मांग

इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है।

  • कई लोग कह रहे हैं कि यह “वुमन पॉवर” का उदाहरण है।

  • वहीं अधिकतर लोग इसे “सिस्टम की लापरवाही” बता रहे हैं।

  • बड़ी संख्या में लोग मांग कर रहे हैं कि निधि को ऑफिस ड्यूटी, नजदीकी पोस्टिंग या स्पेशल सुविधा दी जाए।

प्रशासन पर सवालों की बौछार

यह सवाल भी तेजी से उठ रहा है कि:

  • क्या अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी?

  • क्या मातृत्व के बाद महिला कर्मचारियों के लिए कोई विशेष व्यवस्था लागू नहीं है?

क्या एक बच्चे के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने में सिस्टम नाकाम है?

स्थानीय प्रशासन सक्रिय, विभाग ने मांगी रिपोर्ट

वीडियो वायरल होने के बाद परिवहन विभाग ने मामले का संज्ञान लिया है और जांच के आदेश दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, विभाग निधि को हल्की ड्यूटी या कार्यालयी कार्य देने पर विचार कर सकता है।

यह सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं…

यह दर्द, संघर्ष और मजबूरी की वह कहानी है जो हर उस मां की आवाज है जो ऑफिस, नौकरी, परिवार और बच्चों के बीच संतुलन साधने की लड़ाई रोज लड़ती है।

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