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UP: नेपाल में 10 गुनी कीमत पर बेच रहे यूरिया, यूपी में खाद की किल्लत के बीच जमकर मुनाफा कमा रहे तस्कर

उत्तर प्रदेश में यूरिया की कमी से हाहाकार मचा हुआ है। किसान यूरिया के लिए लाइन में लगे हैं लेकिन उन्हें नहीं मिल पा रही है। वहीं, तस्कर किसानों, निजी खाद विक्रेताओं व समितियों के सचिवों से सांठगांठ कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

यूपी में यूरिया के लिए हाहाकार मचा है। नेपाल से सटे प्रदेश के सात जिलों में खाद की किल्लत सबसे ज्यादा है लेकिन तस्करी से नेपाल के खेतों में बहार है। तस्कर यहां खाद की 10 गुना ज्यादा कीमत वसूलकर मोटी कमाई कर रहे हैं। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सोमवार को खुद खाद तस्करी के मामले में संवेदनशील सिद्धार्थनगर पहुंचकर कार्रवाई की चेतावनी दी। इसके बाद भी तस्कर भारतीय खाद को नेपाल तक पहुंचा रहे हैं। इस खेल में 266.50 रुपये में मिलने वाली एक बोरी यूरिया नेपाल पहुंचते ही 1500 से 2000 रुपये की बिक रही है।

इसी मोटी कमाई के कारण ही नेपाल सीमा से सटे पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज के साथ ही कुशीनगर, देवरिया, गोंडा, बाराबंकी, सहारनपुर, बरेली, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बांदा, ललितपुर, मथुरा और चंदौली में खाद का संकट गहरा गया है। महराजगंज में खुनुवा से लेकर रेंगहिया तक खाद की तस्करी किसी से छिपी नहीं है। 

खाद विक्रेताओं और समितियों से सांठगांठ कर हो रहा खेल
नेपाल में यूरिया की प्रति बोरी कीमत 800 रुपये है लेकिन मधेश क्षेत्र में मांग की अपेक्षा आपूर्ति कम होने से कीमत 1500 से लेकर 2000 रुपये बोरी हो गई है। इसी का फायदा उठाने के लिए तस्करों ने कुछ किसानों, निजी खाद विक्रेताओं व समितियों के सचिवों से सांठगांठ कर खेल शुरू कर दिया।

देवी पाटन मंडल के आयुक्त शशि भूषण लाल शुक्ल का कहना है कि नेपाल से सटे सीमावर्ती जिलों के डीएम व एसपी को एसएसबी के साथ समन्वय बनाकर खाद के अवैध परिवहन की सूचना पर तत्काल कार्रवाई के लिए कहा गया है। अगर कहीं भी खाद तस्करी का मामला पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

श्रावस्ती व बलरामपुर से आसानी से जा रही…
श्रावस्ती में तस्कर दुकानों से 400 से 500 रुपये में यूरिया खरीदकर साइकिल और दूसरे चोर रास्तों से नेपाल पहुंचा रहे हैं। यहां प्रति बोरी 1200 से 1500 रुपये मुनाफे की बात सामने आई है। बलरामपुर से यूरिया नेपाल के कोयलाबास, सिसवारा, ककरहवा, खबरी नाका, गुरुंग नाका, सुकली नाका के किसानों तक पहुंच चुकी है।

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