उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद में प्रशासन द्वारा विकास भवन परिसर की दीवार पर बने भित्तिचित्र रूपी मंदिर को तोड़े जाने के बाद उपजे विवाद और धरना-प्रदर्शन का अंत आखिरकार देर रात हो गया। मंडलायुक्त बस्ती के दखल और सांसद जगदंबिका पाल की सक्रियता के बाद आंदोलनकारी शांत हुए और धरना समाप्त कर दिया।
प्रशासन के सुंदरीकरण अभियान में उपजा विवाद
जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर डॉ. राजा गणपति आर की पहल पर जिले में सरकारी भवनों और कार्यालयों के सुंदरीकरण का कार्य चल रहा है। इसी कड़ी में 23/24 सितंबर की रात विकास भवन की बाउंड्री वॉल पर बने मंदिरनुमा भित्तिचित्र को प्रशासन ने हटवा दिया। प्रशासन का कहना था कि वहां कोई वास्तविक मंदिर नहीं था, बल्कि सिर्फ दीवार पर देवी-देवताओं का चित्रण किया गया था, जिसके नीचे से नाला गुजरता था और आसपास गंदगी फैली रहती थी।
लेकिन इस कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। सुबह होते-होते बड़ी संख्या में लोग घटनास्थल पर इकट्ठा हुए और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। देखते ही देखते यह विरोध धरने में बदल गया।
सियासी रंग और सांसद की मौजूदगी से बढ़ा मामला
विवाद की जानकारी मिलने पर सांसद जगदंबिका पाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई को गलत ठहराया और इसे हिंदू जनभावनाओं पर आघात बताया। सांसद ने वहीं से फोन पर प्रदेश सरकार को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी और मांग की कि मंदिर को यथावत बनाया जाए।
सांसद के समर्थन से प्रदर्शनकारियों का उत्साह बढ़ा और मामला तेजी से तूल पकड़ गया। स्थानीय स्तर पर शुरू हुआ छोटा सा संघर्ष बड़े धरने में तब्दील हो गया।
बाइट – सांसद जगदंबिका पाल
“यह घटना हिंदू जनभावनाओं को आहत करने वाली है। प्रशासन को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए और भित्तिचित्र को यथावत स्थापित किया जाना चाहिए।”
जिलाधिकारी ने बताया कार्रवाई का कारण
वहीं दूसरी ओर, जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर ने प्रशासनिक कार्रवाई को पूरी तरह सही ठहराया। उन्होंने कहा कि यह विवाद बेबुनियाद है क्योंकि वहां कोई व्यवस्थित मंदिर नहीं था, बल्कि केवल भित्तिचित्र बना था।
बाइट – डॉ. राजा गणपति आर, जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर
“दीवार पर बने चित्र के नीचे से गंदा नाला बहता था और लोग वहां थूकते थे। यह देवी-देवताओं के साथ आस्था का अपमान था। तीन महीने से हम विधायक, भाजपा जिला अध्यक्ष और अन्य हिंदू संगठनों से चर्चा कर रहे थे कि मंदिर को उचित स्थान पर बनाया जाए ताकि आस्था को सम्मान मिले। लेकिन बिना जानकारी के लोग भड़क उठे और संघर्ष की स्थिति बन गई।”
मंडलायुक्त की पहल से सुलझा विवाद
धरना-प्रदर्शन में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी और राजनीतिक रंग भी स्पष्ट नजर आने लगा था। हालांकि, देर रात मंडलायुक्त बस्ती के आश्वासन और सांसद जगदंबिका पाल की अपील के बाद प्रदर्शनकारियों ने धरना समाप्त कर दिया।
इस तरह एक छोटे से विवाद से उपजा संघर्ष, जो बड़े आंदोलन में तब्दील हो रहा था, अंततः प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद से थम गया।
👉 यह पूरा घटनाक्रम कई सवाल भी छोड़ गया –
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क्या प्रशासन को पहले से जनता को समझाकर कार्रवाई करनी चाहिए थी?
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क्या विरोध करने वालों ने स्थिति को सही तरीके से समझा?
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या फिर इस विवाद को राजनीतिक रूप से हवा दी गई?
फिलहाल, जिले में शांति बहाल हो गई है और प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि हिंदू आस्था के अनुरूप उचित स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया जाएगा।
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