लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में कफ सिरप (Cough Syrup) निर्माण के मानकों को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। प्रदेशभर में सिरप बनाने वाली कई फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा दवा निर्माण के निर्धारित नियमों और गुणवत्ता मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब केंद्रीय जांच टीम ने भी प्रदेश में डेरा डाल दिया है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में भी बड़ा जांच अभियान शुरू किया है। फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफएसडीए) की केंद्रीय टीम सोमवार से राज्य के औषधि निर्माण केंद्रों की रैंडम जांच कर रही है। पहले ही दिन टीम ने हापुड़ जिले में एक सिरप निर्माण करने वाली फर्म का निरीक्षण किया और पांच नमूने जांच के लिए लैब भेजे।
🔍 प्रदेश में 37 में से 17 कंपनियां कर रही हैं सिरप निर्माण
प्रदेश में कुल 37 दवा निर्माण इकाइयाँ हैं, जिनमें से 17 कंपनियाँ कफ सिरप तैयार कर रही हैं। एफएसडीए की राज्य टीम ने इन सभी इकाइयों की जांच शुरू की है। अब तक करीब 780 नमूने (निर्मित सिरप और कच्चे माल दोनों) लैब में भेजे जा चुके हैं। शुरुआती रिपोर्टों ने कई चिंताजनक तथ्य उजागर किए हैं—
-
कई फर्मों में स्वच्छता के मानकों का पालन नहीं किया गया।
-
निर्धारित उपकरणों का अभाव पाया गया।
-
कई कंपनियों के पास आवश्यक दस्तावेज अधूरे या गायब हैं।
इन गंभीर खामियों के चलते लखनऊ, सहारनपुर, मथुरा और अलीगढ़ की एक-एक कंपनी में सिरप निर्माण कार्य तुरंत रोक दिया गया है, जबकि अन्य को नोटिस जारी किया गया है।
🧪 हापुड़ से शुरू हुई केंद्रीय जांच, अन्य जिलों में भी अभियान जारी
केंद्रीय एफएसडीए टीम का नेतृत्व आयुक्त और उप आयुक्त स्तर के अधिकारी कर रहे हैं। यह टीम प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थानीय औषधि निरीक्षकों के साथ मिलकर काम करेगी। जांच के दौरान निर्माण इकाइयों के साथ-साथ मेडिकल स्टोर्स से भी कफ सिरप के नमूने लिए जा रहे हैं।
टीम के अधिकारियों ने बताया कि नमूनों की लैब रिपोर्ट आने के बाद दोषी पाई जाने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस निलंबन से लेकर आपराधिक मामला दर्ज करने तक की संभावना है।
⚠️ कोडिन सिरप का फैलता काला कारोबार
इस बीच, कोडिन (Codeine) युक्त कफ सिरप का अवैध व्यापार भी प्रदेश में तेजी से फैल रहा है। लखनऊ में हाल ही में बरामद बड़ी खेप के बाद सामने आया कि इस नेटवर्क का दायरा पूरे उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है। जांच में पकड़े गए आरोपियों ने स्वीकार किया कि यह सिरप नशे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था, न कि इलाज के लिए।
एफएसडीए की टीम ने लखनऊ के मेडिकल स्टोरों से मिले दस्तावेजों की जांच की तो कई जिलों में वहां से खेप भेजे जाने के प्रमाण मिले। रायबरेली और सीतापुर में 2600 शीशियाँ कोडिन सिरप बरामद की गई हैं। वहीं सोमवार को बहराइच और सुल्तानपुर जिलों में भी अवैध कोडिन सिरप मिलने पर एक-एक मेडिकल स्टोर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
🚨 नशे के कारोबार पर शिकंजा कसने की तैयारी
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि यह नेटवर्क सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं है। कई पूछताछों में यह सामने आया है कि नेपाल और बांग्लादेश तक सिरप की अवैध सप्लाई की जा रही थी। केंद्र और राज्य की संयुक्त टीम इस पूरे रैकेट को खत्म करने के मिशन पर काम कर रही है।
🗣️ प्रशासन की सख्त चेतावनी
एफएसडीए आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि जिन कंपनियों या दुकानों में मानकों की अनदेखी पाई जाएगी, उनके खिलाफ किसी भी स्तर पर राहत नहीं दी जाएगी। प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता से समझौता अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
👉 निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश में कफ सिरप निर्माण और उसके अवैध उपयोग से जुड़ी खामियों ने दवा उद्योग की निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। केंद्रीय टीम की यह कार्रवाई अब न केवल दोषी कंपनियों की जवाबदेही तय करेगी, बल्कि भविष्य में नकली या घटिया दवाओं के कारोबार पर लगाम लगाने की दिशा में भी अहम कदम साबित हो सकती है।
Hind News 24×7 | हिन्द न्यूज़ Latest News & Information Portal