यूपी विधानसभा ने बुधवार को बांके बिहारी मंदिर निर्माण आर्डिनेंस को मंजूरी दे दी है। अब मंदिर का न्यास चढ़ावा, संपत्ति और प्रशासन से जुड़ी सभी जिम्मेदारियां संभालेगा।
यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन बांके बिहारी मंदिर निर्माण आर्डिनेंस को मंजूरी मिल गई। सदन में बुधवार सुबह 11 बजे विकसित भारत, विकसित यूपी विजन डॉक्युमेंट 2047 पर लगातार 24 घंटे की चर्चा शुरू हो गई है। इसमें सरकार विभागवार उपलब्धियां और विजन रख रही है जबकि विपक्ष के सवालों का दौर भी जारी है। इस दौरान सत्र में बांके बिहारी कॉरिडोर आर्डिनेंस विधेयक भी पास हो गया है।
अध्यादेश स्पष्ट करता है कि मंदिर के चढ़ावे, दान और सभी चल-अचल संपत्तियों पर न्यास का अधिकार होगा। इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, मंदिर परिसर और प्रसीमा के भीतर देवताओं के लिए दी गई भेंट/उपहार, किसी भी पूजा-सेवा-कर्मकांड-समारोह-धार्मिक अनुष्ठान के समर्थन में दी गई संपत्ति, नकद या वस्तु रूपी अर्पण, तथा मंदिर परिसर के उपयोग के लिए डाक/तार से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक तक शामिल हैं। मंदिर की संपत्तियों में आभूषण, अनुदान, योगदान, हुंडी संग्रह सहित श्री बांके बिहारी जी मंदिर की सभी चल एवं अचल संपत्तियां सम्मिलित मानी जाएंगी।
किसी भी शाखा/संप्रदाय से 3 सदस्य (प्रतिष्ठित व्यक्ति/शिक्षाविद/विद्धान/उद्यमी/वृत्तिक/समाजसेवी)।
– गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य- स्वामी हरिदास जी के वंशज; एक राज-भोग सेवादारों और दूसरा शयन-भोग सेवादारों का प्रतिनिधि.सभी मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे। उनका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा
।- पदेन सदस्य में मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओ, बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ और राज्य सरकार का नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे। यदि कोई पदेन सदस्य सनातन धर्म को नहीं मानने वाला/गैर-हिंदू हुआ, तो उसकी जगह उससे कनिष्ठ अधिकारी को नामित किया जाएगा।