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UP: अंतिम संस्कार के ना थे पैसे, 3 दिन तक सड़ा शव, मदद न मिली तो ठेले पर लाश..; मुस्लिम भाइयों ने पेश की मिसाल

महराजगंज से इंसानियत को शर्मसार करने वाली खबर सामने आई है। यहां एक शख्स की बीमारी के कारण मौत हो गई। उसके बच्चों के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए तीन दिन तक उसकी लाश घर में सड़ती रही। कहीं से मदद नहीं मिली तो मासूम बेटे ठेले पर शव रखकर नदी में प्रवाहित करने जा रहे थे, इस बीच दो मुस्लिम भाइयों ने अंतिम संस्कार करायामहराजगंज के नौतनवा के नगर के राजेंद्रनगर वार्ड में तीन दिन तक एक अधेड़ की लाश घर में इसलिए सड़ती रही कि उसके दो मासूम बच्चों के पास अंतिम संस्कार के पैसे नहीं थे। तीन दिन तक वे पिता की सड़ती लाश के साथ रात-दिन गुजारते रहे। जब सबने मुंह फेर लिया और मदद की सारी उम्मीदें खत्म हो गईं तो 14 और 10 साल के दोनों बेटों ने पिता की लाश को नदी में प्रवाहित करने का फैसला किया।

रविवार दोपहर ठेले पर शव रखकर नदी की ओर ले जाते समय रास्ते में मिले पड़ोस के वार्ड के एक सभासद और एक सभासद प्रतिनिधि ने मदद का हाथ बढ़ाया और शव का अंतिम संस्कार कराया।

राजेंद्र नगर वार्ड में रेलवे ढाला के पास लव कुमार पटवा (50) का घर है। उसके एक बेटी समेत तीन बच्चे हैं। बेटी अपनी दादी के साथ पड़ोस के वार्ड में रहती है, जबकि दोनों बेटे राजवीर (14) व देवराज (10) पिता के साथ रहते थे। राजवीर ने बताया कि मां की एक साल पहले ही मौत हो चुकी है।

शुक्रवार दोपहर में हुई मौत
पिता फेरी लगाकर चूड़ी आदि सामान बेचते थे और उसी कमाई से तीनों का पालन पोषण करते। कुछ दिन से उनकी तबीयत खराब थी। इस कारण वह काम पर नहीं जा रहे थे। इसी बीच शुक्रवार दोपहर में उनकी मौत हो गई। उन्होंने आस पड़ोस के लोगों और बगल के वार्ड में रहने वाली दादी को सूचना दी।

बच्चे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें
बेटे की मौत की खबर सुनकर मां आई तो पर दुख जताकर वापस चली गई। पड़ोस वाले भी बच्चों के प्रति सांत्वना जताकर वापस अपनी दिनचर्या में लग गए। उधर, आर्थिक तंगी से जूझ रहे बच्चे यह सब देखकर स्तब्ध थे। वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें।

सड़ती जा रही थी लाश…बदबू से घर में रहना मुश्किल
बच्चे घर में पिता की लाश के साथ दिन-रात गुजार रहे थे। यह सोचते हुए कि कैसे पिता की लाश का अंतिम संस्कार करें। लाश सड़ती जा रही थी और दुर्गंध से घर में रहना मुश्किल हो रहा था। तब बच्चों ने शव को पास की डंडा नदी में प्रवाहित करने का फैसला किया।

रविवार दोपहर में कहीं से ठेले का जुगाड़ किया और पिता के शव को कपड़े में लपेटकर नदी में प्रवाहित करने चल दिए। राजवीर ने बताया कि रास्ते में कई लोगों ने उन्हें देखा पर सिर्फ आंखों से दुख जताकर आगे बढ़ जाते।

इसी दौरान छपवा तिराहे पर समाजसेवी और वार्ड नंबर दो बिस्मिलनगर के सभासद प्रत्याशी राशिद कुरैशी ने बच्चों को ठेले पर पिता की लाश ले जाते देखा तो उन्हें रोका। उनकी बात सुनकर द्रवित राशिद ने वार्ड नंबर 17 राहुल नगर के सभासद अपने बड़े भाई वारिस कुरैशी को इसकी सूचना दी।

वह भी मौके पर पहुंचे और दोनों भाइयों ने चार पहिया वाहन से शव को श्मशानघाट पहुंचाया और विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार कराया।

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