लखनऊ। सीएम योगी के 5 साल का ईमानदार काम और सुनील बंसल के संगठन को और मजबूत करने इन्हीं दोनों की जबरदस्त जोड़ी ने फिर से प्रदेश में इतना सुंदर कमल खिलाया है। आज उत्तर प्रदेश में दूसरे मुख्यमंत्री के तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण की। इसके साथ ही कई और मंत्रियों ने अपने मंत्री पद की शपथ ली। लेकिन चुनाव से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश में सीएम योगी और सुनील बंसल की जोड़ी को मजबूत जोड़ी माना गया है। जिसने उत्तर प्रदेश में सुंदर कमल खिलाया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सत्ताधारी दल यानि भारतीय जनता पार्टी की स्पष्ट और प्रचंड बहुमत के साथ वापसी हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की है। जिसके बाद पश्चिम से लेकर पूरब तक भगवा लहर चल गई।
यूपी में भाजपा की प्रचंड जीत के असली हीरो तो स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को यूपी की सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज करने का इतिहास बना दिया है। 37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी कराते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया है।
UP BJP के ‘चाणक्य’ सुनील बंसल
2017 के बाद 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाकर इतिहास रच दिया। यह इतिहास कोई करिश्मा या चमत्कार होने की वजह से नहीं रचा गया बल्कि सोची समझी नीति के धरातल पर उतरने की वजह से संभव हो पाया। यह सोची समझी रणनीति थी यूपी बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल की।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खास माने जाने वाले सुनील बंसल को वर्ष 2014 में जब अमित शाह को यूपी का प्रभारी बनाया गया था तो उन्होंने यूपी में बूथ मैनेजमेंट का जिम्मा सुनील बंसल को सौंपा था। सुनील बंसल ने अपने नेतृत्व कौशल और संगठन शिल्पी होने का परिचय दिया और यूपी में भाजपा 80 में से 73 सीटें जीतने में कामयाब रही।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री रहे सुनील बंसल ने 2014 के लोकसभा चुनावों में जीत के बाद ही उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया था।
बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं सुनील बंसल
20 सितंबर 1969 को राजस्थान में जन्में सुनील बंसल बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं। अपने छात्र जीवन में इन्होने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर राजनीति का ककहरा सीखा। 1989 में राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने कई धुरंधरों को पीछे कर युवा सुनील बंसल को उतारा।
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बेहद कड़े मुकाबले में बंसल ने एबीवीपी को जीत दिलाई और राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। इसके बाद सुनील बंसल ने मुड़कर नहीं देखा। सुनील बंसल ने यूपी में जातीय समीकरणों को नजदीक से समझा और बूथ लेवल तक दलित, ओबीसी और महिलाओं को सीधे पार्टी की गतिविधि से जोड़ा।
पूरे प्रदेश में सुनील बंसल ने विस्तारक नियुक्त किए और उनको बाकायदा प्रशिक्षण दिया। इन विस्तारकों का कार्य लोगों के बीच जाकर संगठन का विस्तार और प्रचार-प्रसार करना और नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों को समझाना था। उनकी इसी रणनीति के चलते यूपी में बीजेपी की 2 करोड़ से ज्यादा सदस्यता हुई।
सीएम योगी और सुनील बंसल की मजबूत जोड़ी
यही कारण है कि आज सीएम योगी के 5 साल का ईमानदार काम और सुनील बंसल के संगठन को जनता ने मजबूती के साथ फिर से सराहा है। और इसलिए सीएम योगी और सुनील बंसल के संगठन को मजबूत जोड़ी मानते हैं।
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