सिद्धार्थनगर में लंबे समय से सड़कों की खस्ता हालत ने स्थानीय लोगों का जीवन मुश्किल बना दिया है। विशेष रूप से सार्वजनिक सेवा से जुड़े दफ्तरों तक जाने वाले मार्ग को छोड़कर नगर के कई इलाकों में सड़कें गड्ढों में तब्दील हैं, जिससे नागरिकों को प्रतिदिन भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जनता की समस्याएँ और प्रतिदिन की कठिनाइयाँ
स्थानीय निवासी बताते हैं कि एनएच-28 से बीएसएनएल, परिवहन और सिंचाई विभाग के दफ्तरों तक पहुंचने वाला मार्ग अब गड्ढों में बदल गया है। इस मार्ग पर चलना बरसात के मौसम में और भी दूभर हो जाता है। नागरिकों का कहना है कि केवल सौ मीटर का यह जरूरी रास्ता भी बजट और प्रशासनिक पहल की कमी के कारण वर्षों से मरम्मत न हो पाने के कारण यूँ ही जर्जर स्थिति में पड़ा है।
राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यह राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता का नमूना है। उनके अनुसार, जनता के लिए यह मार्ग न केवल दफ्तरों तक पहुँच का साधन है बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी और कार्यों की मूलभूत सुविधा भी है। बावजूद इसके न तो सड़कों की मरम्मत के लिए कोई ठोस बजट है और न ही कोई प्रशासनिक पहल दिखाई देती है।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों ने कहा, “हम वर्षों से इस परेशानी का सामना कर रहे हैं, और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बरसात में तो यह रास्ता चलने के लिए बिल्कुल असुरक्षित हो जाता है। हम चाहते हैं कि हमारी आवाज सुनी जाए और सड़कें समय पर सुधारी जाएं।”
सिद्धार्थनगर में सड़कों की यह स्थिति न केवल सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँचने में बाधा डाल रही है, बल्कि यह प्रशासन की जवाबदेही और जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाती है। अगर जल्द ही मरम्मत और सुधार के कदम नहीं उठाए गए, तो जनजीवन और नागरिक सुरक्षा पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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