श्रावस्ती: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में स्वच्छता को लेकर लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन श्रावस्ती जिले के जमुनहा तहसील परिसर की हकीकत इस मिशन की जमीनी सच्चाई को उजागर करती है। तहसील भवन के निर्माण के सात साल बाद भी आज तक यहां एक भी शौचालय नहीं बनाया गया है, जिससे आम जनता, अधिवक्ता और कर्मचारी सभी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

तहसील परिसर में आने वाले वादकारी और ग्रामीणों को शौच या टॉयलेट के लिए खुले में जाने को मजबूर होना पड़ता है। यह स्थिति न केवल स्वच्छ भारत मिशन की भावना का अपमान है, बल्कि मानव गरिमा और स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ है।सुविधा के अभाव में बढ़ी लोगों की मुश्किलें
तहसील परिसर में रोजाना सैकड़ों लोग न्याय और राजस्व संबंधी कार्यों के लिए आते हैं, लेकिन शौचालय न होने से उन्हें भारी असुविधा होती है। महिलाएं विशेष रूप से परेशानी झेल रही हैं। कई बार लोगों को मजबूरन आसपास के खेतों या खुले स्थानों पर जाना पड़ता है, जिससे न केवल अस्वच्छता फैलती है बल्कि असुरक्षा की भावना भी बनी रहती है।
कर्मचारियों और अधिवक्ताओं ने बताया कि कई बार इस समस्या को अधिकारियों के सामने रखा गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे लोगों में नाराज़गी और निराशा दोनों देखने को मिल रही है।
अधिवक्ताओं ने उठाई आवाज़
इस गंभीर समस्या को लेकर अधिवक्ता रेवती रमन श्रीवास्तव ने शौचालय निर्माण की मांग को जोर-शोर से उठाया है। उन्होंने कहा कि तहसील परिसर में रोजाना दर्जनों वादकारी और सरकारी कर्मचारी उपस्थित रहते हैं, लेकिन इतनी भी मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने इस मामले में श्रावस्ती के जिलाधिकारी (डीएम) को ज्ञापन सौंपा और जल्द से जल्द शौचालय निर्माण कराने की मांग की। रेवती रमन श्रीवास्तव ने कहा,
“स्वच्छ भारत मिशन का असली मकसद तभी पूरा होगा, जब सरकारी दफ्तरों में भी स्वच्छता और सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा। तहसील में शौचालय का निर्माण होना अब बेहद जरूरी है।”
डीएम ने दिया आश्वासन
अधिवक्ताओं के ज्ञापन पर जिलाधिकारी ने गंभीरता दिखाते हुए कहा कि तहसील परिसर में जल्द ही शौचालय निर्माण का कार्य शुरू कराया जाएगा। डीएम ने यह भी आश्वासन दिया कि निर्माण पूरा होने के बाद उसकी नियमित साफ-सफाई और देखरेख के लिए जिम्मेदार अधिकारी भी तय किए जाएंगे।
डीएम के इस बयान के बाद स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है कि अब शायद वर्षों से चली आ रही यह समस्या जल्द ही समाप्त हो सकेगी।
स्थानीय स्तर पर चर्चाओं का बाजार गर्म
इस मुद्दे को लेकर स्थानीय स्तर पर चर्चाओं का दौर तेज है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब देशभर में स्वच्छता और स्वच्छ भारत मिशन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, तो फिर एक तहसील परिसर में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा क्यों नहीं है?
कई नागरिकों ने कहा कि यह मामला सिर्फ असुविधा का नहीं बल्कि सरकारी लापरवाही और जवाबदेही का भी है।बाइट – रेवती रमन श्रीवास्तव, अधिवक्ता
“जमुनहा तहसील में सात वर्षों से लोग इस परेशानी का सामना कर रहे हैं। यह शर्मनाक है कि आज भी हमें खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। हमने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है और जल्द कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।”
स्वच्छ भारत मिशन की हकीकत दिखाती यह तस्वीर प्रशासन और व्यवस्था दोनों के लिए एक बड़ा सवाल छोड़ती है। जनता अब डीएम के आश्वासन पर टिकी हुई है। अगर जल्द शौचालय निर्माण नहीं कराया गया, तो यह मामला बड़ा जनविषय बन सकता है।
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