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आस्था का महापर्व छठ: कुशीनगर में भक्ति, अनुशासन और पर्यावरण प्रेम का अनूठा संगम

कुशीनगर।
पूर्वांचल में आस्था, भक्ति और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक महापर्व छठ पूजा पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का परिचायक है, बल्कि यह समाज में अनुशासन, समर्पण और स्वच्छता का भी संदेश देता है।

कुशीनगर जिले के हाटा नगर स्थित शिव मंदिर और आसपास के छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है। भगवान भास्कर और छठी मइया की आराधना के लिए महिलाएं और पुरुष दोनों ही पूरे उत्साह के साथ तैयारियों में जुटे हैं। घाटों की सजावट, साफ-सफाई, और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद है।

चार दिवसीय पर्व की महत्ता

छठ पूजा की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है, जिसमें व्रती महिलाएं स्नान कर पवित्र भोजन ग्रहण करती हैं। इसके बाद ‘खरना’ का आयोजन होता है, जहां शाम को गन्ने के रस से बने खीर-रोटी का प्रसाद तैयार कर व्रतियों द्वारा ग्रहण किया जाता है। तीसरे दिन श्रद्धालु सांझ का अर्घ्य देकर सूर्यदेव की उपासना करते हैं और चौथे दिन भोर का अर्घ्य देकर व्रत का समापन करते हैं।

इस दौरान व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना करती हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, बल्कि इसमें जीवन के अनुशासन, संयम और त्याग की झलक भी देखने को मिलती है।

पर्यावरण संरक्षण का संदेश

छठ पूजा की एक विशेषता यह भी है कि इसमें प्लास्टिक या रासायनिक सामग्री का प्रयोग नहीं किया जाता। पूजा सामग्री पूरी तरह प्राकृतिक होती है—मिट्टी के दीये, बांस की टोकरी, फल-फूल और गन्ने से सजे घाट न केवल सुंदरता बढ़ाते हैं बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश भी देते हैं। यही कारण है कि छठ पर्व को आज पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक पर्व भी कहा जाने लगा है।

प्रशासन ने की विशेष तैयारियां

कुशीनगर प्रशासन की ओर से छठ घाटों पर सुरक्षा, साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था के विशेष इंतज़ाम किए गए हैं। नगर पालिका की टीम ने घाटों की साफ-सफाई कर श्रद्धालुओं के लिए सुगम व्यवस्था सुनिश्चित की है। पुलिस प्रशासन द्वारा भीड़ नियंत्रण और यातायात व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

आस्था से जुड़ा सामाजिक संदेश

छठ पूजा केवल भगवान सूर्य की उपासना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में सामूहिकता, एकता और सहयोग की भावना को भी मजबूत करता है। सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोग इस पर्व में एक साथ मिलकर भाग लेते हैं। यही इस महापर्व की असली खूबसूरती है — जहां आस्था और एकता एक साथ झलकती है।

भक्ति, श्रद्धा और पर्यावरण प्रेम का संगम बना कुशीनगर — छठ पूजा का ये पर्व हर वर्ष लोगों को जीवन में संयम, स्वच्छता और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश देता है।

पीटीसी — ज्ञानेश्वर बरनवाल, कुशीनगर

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