कन्नौज के किसानों के लिए बढ़ती लागत और पारंपरिक खेती में घटता मुनाफा बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इसी बीच जिले के किसान विजेंद्र सिंह तोमर ने दूरदर्शिता और नवाचार की मिसाल पेश करते हुए खेती का ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिसे देखकर अब अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं।

जहाँ ज़्यादातर किसान आलू और मक्का जैसी पारंपरिक फसलों पर निर्भर हैं, वहीं विजेंद्र ने जोखिम उठाते हुए ग्लेडियोलस (Gladiolus) फूल की उन्नत खेती शुरू की—और आज यही कदम उन्हें लाखों की वार्षिक आय दे रहा है।
कैसे शुरू हुआ ग्लेडियोलस की खेती का सफर?
ग्लेडियोलस फूल की मांग देशभर में बेहद अधिक है। शादी–विवाह, गिफ्ट पैकिंग, डेकोरेशन और इवेंट्स में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। इसी बाजार को समझते हुए विजेंद्र सिंह ने शहर से लौटने के बाद अपने गांव में छोटे से क्षेत्र में इस फूल की खेती शुरू की।
शुरुआत में 30–40 हजार रुपये की लागत लगी, लेकिन पहले ही सीजन में इतनी अच्छी आमदनी हुई कि विजेंद्र ने पूरा मॉडल विस्तार देने का निर्णय ले लिया।
लागत कम, मुनाफा कई गुना—ग्लेडियोलस की खासियत
किसान अवनीश शाक्य बताते हैं—
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ग्लेडियोलस की खेती में लागत अपेक्षाकृत कम आती है।
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फूल 3–4 महीने में तैयार हो जाता है।
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उचित देखभाल के साथ जोखिम बेहद कम रहता है।
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बाजार मांग इतनी अधिक है कि किसान को बिक्री की चिंता नहीं करनी पड़ती।
यही वजह रही कि विजेंद्र के परिवार के अन्य सदस्य भी इस कार्य से जुड़ गए और आज उनका खेती क्षेत्र सैकड़ों बीघा तक बढ़ चुका है।
देशभर में होती है सप्लाई
स्थानीय व्यापारी लखन सैनी का कहना है कि ग्लेडियोलस फूलों की भारी मांग के चलते हर साल बड़े पैमाने पर सप्लाई की जाती है—
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दिल्ली
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मुंबई
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गुजरात
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राजस्थान
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लखनऊ
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कानपुर
इससे जुड़े किसानों को लगातार अच्छा दाम मिलता है।
किसानों के लिए महत्वपूर्ण संदेश
कन्नौज के किसान विजेंद्र सिंह की कहानी बताती है कि—
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सही फसल चयन
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बाजार की समझ
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और आधुनिक खेती तकनीक
से कृषि को भी बड़े और स्थायी मुनाफे का माध्यम बनाया जा सकता है। ग्लेडियोलस फ्लावर फार्मिंग ग्रामीण युवाओं और किसानों के लिए एक प्रभावी विकल्प बनकर उभर रही है।
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