लखनऊ। पत्रकारिता करना सबसे आसान काम है और अच्छी पत्रकारिता करना सबसे मुश्किल काम है, लेकिन राजधानी लखनऊ के जाने-माने पत्रकार राजकुमार सिंह जी ने अपनी लगन और मेहनत से यह साबित किया है कि, अगर इरादे बुलंद हो तो कामयाबी कदम चूमती है बता दें कि, पत्रकारिता के साथ-साथ राजकुमार जी एक लेखक भी है।
ग़जल ‘हर किस्सा अधूरा है’ को मिला दुष्यंत कुमार पुरस्कार
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से उनकी ग़जल ‘हर किस्सा अधूरा है’ को 75 हजार के दुष्यंत कुमार पुरस्कार मिला है। राजकुमार सिंह जी की इस उपलब्धि पर साधना प्लस न्यूज, The Vibrant News, ईश्वर और देवम की तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
राजकुमार सिंह जी की एक ग़जल का मतला है…
जितनी भी मिल जाए कम लगती है..
देर से मिली ख़ुशी गम लगती है,
या फिर यह कि, नजर को फिर धोखे बार-बार हुए..
यूं जीने के बहाने हजार हुए।
ये पक्तियां अपनी सहजता में बिना आपको आतंकित किए आपके साथ हो लेती हैं। यही शायर की कलम की विशेषता है।
हर किस्सा अधूरा है…
हिंदी ग़जल अब एक सक्षम विधा बन चुकी है। मौजूदा भारतीय समाज के अनुभव-विस्तार के अलग-अलग जगहों पर अनेक शायर हैं जो उर्दू की इस लोकप्रिय विधा को अपने ढंग से बरत रहे हैं। कहीं उर्दू शब्दों की बहुतायत है कहीं खड़ी बोली के शब्दों के प्रयोग हैं तो कहीं आमफहम जबान में जिंदगी के तजुर्बे की अक्कासी की जा रही है।
राजकुमार सिंह की ग़जलें सबकी समझ में आने वाली शब्दावली में बिल्कुल आम मुहावरे को गजल में बांधने की कोशिश हैं। वे रोजमर्रा जीवन के अनुभव, संवेदना को ग़जल के फ़ॉर्म में ऐसे पिरो देते हैं कि, पढ़ते हुए पता ही नहीं चलता कि आप जिंदगी से किताब में कब आ गए और कब किताब से वापस अपनी जिंदगी में चले गए।
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बता दें कि, इस संग्रह में राज कुमार सिंह की उन्वान-शुदा ग़जलों के अलावा उनकी ऩज्में भी दी जा रही हैं। लगता है जैसे ज़िंदगी का जो ग़जलों से छूट रहा था, उसे उन्होंने ऩज्मों में बड़ी महारत के साथ समेट लिया है। प्रेम और बिछोह से प्रोफ़ेशनल जीवन की आधुनिक विडंबनाओं तक को उन्होंने इन ग़जलों ओर ऩज्मों में पिरो दिया है।
गांव से हर बार झूठ कहता हूं… बहुत अच्छे से हम शहर में हैं।
कहने की जरूरत नहीं है कि, यह किताब नए पाठक को भी अपने जादू से सरशार करने की कुव्वत रखती है।
कौन हैं राजकुमार सिंह ?
राजकुमार सिंह जी का जन्म 12 जनवरी 1971 को इटावा ( अब औरेया ) जिले की बिधूना तहसील में हुआ। राजकुमार जी ने मध्य एवं आधुनिक इतिहास से एम.ए. ( लखनऊ विश्वविद्यालय ), एम.ए., पत्रकारिता ( लखनऊ विश्वविद्यालय ) से किया है।
बता दें कि, राजकुमार सिंह जी 1994 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कई संस्थानों में काम किया है। प्रिंट में नवभारत टाइम्स, लखनऊ में बतौर राजनीतिक संपादक कार्य किया। इसके अलावा हिंदुस्तान अखबार के प्रयागराज संस्करण में स्थानीय संपादक, वाराणसी संस्करण में स्थानीय संपादक और लखनऊ संस्करण में उप-संपादक के तौर पर काम किया है।
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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सहारा समय उत्तर प्रदेश और न्यूज़-24 चैनल में लखनऊ में ब्यूरो चीफ रहे। वायस ऑफ़ इंडिया न्यूज़ चैनल में लखनऊ में ब्यूरो चीफ़ और फिर स्थानीय संपादक के तौप पर काम किया। न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल में लखनऊ में स्टेट हेड, फिर कोऑर्डिनेटिंग एडिटर के तौर पर काम किया।
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