झाँसी। संघर्ष सेवा समिति के कार्यालय में मंगलवार का दिन संवेदनाओं, सम्मान और बेटी के प्रति श्रद्धा से भरा एक ऐसा क्षण बना, जिसने वहाँ मौजूद हर व्यक्ति के दिल को छू लिया। समिति के संस्थापक, समाजसेवी एवं प्रेरक व्यक्तित्व डॉ. संदीप सरावगी ने विवाह बंधन में बंधने जा रही पूजा रायकवार को ससम्मान उपहार भेंट कर उनके नए जीवन की शुभकामनाएँ दीं। यह अवसर न केवल एक औपचारिक कार्यक्रम था, बल्कि संघर्षों के बीच सपनों की उड़ान का प्रतीक भी बना।
कठिनाइयों से भरी ज़िंदगी में उम्मीद की किरण
शिवाजी नगर, गंगा हॉस्पिटल के पास किराए के घर में रहने वाली पूजा रायकवार साधारण परिवार से आती हैं, लेकिन उनकी जीवन यात्रा किसी असाधारण प्रेरणा से कम नहीं रही। उनकी माँ स्वर्गीय शांति देवी, जो जीवनभर मेहनत और संघर्ष का दूसरा नाम थीं, अब इस दुनिया में नहीं हैं—लेकिन उनके संस्कार और प्रेरणा पूजा के हर कदम में झलकते हैं।
पूजा के पिता अमरजीत रायकवार ने भी कठिन परिस्थितियों में परिवार का साथ निभाया है। इन्हीं संघर्षों के बीच 10 दिसंबर को होने वाला पूजा का विवाह परिवार और समाज के लिए उम्मीद, नई शुरुआत और सपनों के साकार होने का संदेश लेकर आया है।
संघर्ष सेवा समिति की अनोखी पहल
समिति की ओर से पूजा रायकवार को फुल साइज ट्रॉली बैग, किचन सेट, साड़ी और अन्य आवश्यक सामान उपहारस्वरूप भेंट किया गया। समिति का उद्देश्य केवल भौतिक सहयोग करना नहीं है बल्कि ऐसे परिवारों को सम्मान और प्रोत्साहन देना है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपनी बेटियों के सपनों को बचाए रखते हैं।
उपहार सौंपते समय डॉ. संदीप भावुक हो उठे और उन्होंने कहा—
“बेटियाँ परिवार का गौरव होती हैं। पूजा संघर्षों के बीच पली-बढ़ी है लेकिन उसकी मुस्कान, उसकी सादगी और उसकी शक्ति यही बताती है कि वह एक सशक्त स्त्री की मिसाल है। हम उसकी नई जीवन यात्रा को प्रेम, सम्मान और खुशियों से भरी होने की शुभकामनाएँ देते हैं।”
कार्यालय में गूँजा भावुक माहौल
पूजा को सम्मानपूर्वक उपहार सौंपते ही समिति का पूरा कार्यालय भावुक पलों से भर उठा। समिति के सदस्यों ने भी पूजा को आशीर्वाद देते हुए उसके उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामनाएँ कीं।
कुछ सदस्य अपनी भावनाओं को रोक नहीं सके और बोले—
“संघर्षों के बीच जब कोई बेटी आगे बढ़ती है, तो वह सिर्फ परिवार नहीं बल्कि पूरे समाज को प्रेरणा देती है।”
पूजा ने भी सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सहयोग उसके लिए सिर्फ उपहार नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और सम्मान की भावना है, जिसे वह जीवनभर याद रखेगी।
एक विदाई जो कहानी कह गई
पूजा रायकवार की विदाई केवल एक विवाह का आरंभ नहीं, बल्कि संघर्षों के बीच जन्मे सपनों के पूरा होने की दास्तान है।
यह घटना यह संदेश भी देती है कि अगर समाज बेटी के हाथों में सम्मान, सुरक्षा और प्रोत्साहन सौंप दे, तो वह हर सपने को सच साबित कर सकती है।
संघर्ष सेवा समिति की इस पहल ने फिर साबित किया है कि सामाजिक उत्तरदायित्व केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि संवेदनाओं का वास्तविक रूप है।
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