Wednesday , December 10 2025

India-Tibet Ties Strengthened in Kushinagar: कुशीनगर में भारत-तिब्बत संवाद मंच की गोष्ठी, दलाई लामा की वर्षगांठ पर चर्चा

कुशीनगर —बौद्ध नगरी कुशीनगर के तिब्बती मंदिर प्रांगण में बुधवार को भारत-तिब्बत संवाद मंच की ओर से “भारत-तिब्बत संबंध : साझा विरासत एवं साझा भविष्य” विषय पर एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविख्यात बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्ति की 36वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में भारत और तिब्बत के बीच आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों पर विस्तृत चर्चा हुई। गोष्ठी में वक्ताओं ने तिब्बत की स्वतंत्रता, चीन द्वारा किए जा रहे दमन, पर्यावरणीय असंतुलन और भारत की भूमिका पर गहन विचार-विमर्श किया।

चीन के दमन पर तिब्बती प्रतिनिधि का दर्द

मुख्य अतिथि एवं भारत-तिब्बत समन्वय केंद्र की राष्ट्रीय समन्वयक तासी दीकी ने अपने उद्बोधन में तिब्बत की वर्तमान स्थिति का मार्मिक चित्रण किया। उन्होंने कहा —

“तिब्बत आज चीन के अत्याचारों के कारण अपनी पहचान खोने की कगार पर है। हमारी संस्कृति, भाषा और धर्म को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। तिब्बत की आज़ादी के लिए दुनिया को एकजुट होना होगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में तिब्बती लोगों को मिले सम्मान और सहयोग के लिए वे भारत सरकार और जनता की आभारी हैं।

भारत और तिब्बत आत्मीय रूप से जुड़े हैं’ — रजनीकांत मणि त्रिपाठी

कार्यक्रम के संयोजक एवं पूर्व विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि भारत और तिब्बत के संबंध केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक हैं।

“चीन की अराजकता और सैन्य विस्तारवाद से न सिर्फ तिब्बत बल्कि समूचे एशिया का संतुलन खतरे में है। भारत को तिब्बत की आवाज़ के साथ मजबूती से खड़ा रहना होगा।”

तिब्बत की आज़ादी हमारी आज़ादी’ — डॉ. शुभलाल शाह

विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. शुभलाल शाह ने कहा कि तिब्बत की आज़ादी केवल तिब्बत का नहीं, बल्कि भारत के पर्यावरण और सांस्कृतिक संतुलन का भी प्रश्न है।
उन्होंने कहा —

“भारत एक जीवंत राष्ट्र है। हमें दलाई लामा को संसद के दोनों सदनों में संबोधित करने का अवसर देना चाहिए और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।”

भारत-तिब्बत संबंधों की नींव प्राचीन है’ — प्रो. विनोद मोहन मिश्रा

कार्यक्रम की अध्यक्षता बुद्धा पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विनोद मोहन मिश्रा ने की। उन्होंने कहा कि भारत और तिब्बत के बीच सदियों से अटूट सांस्कृतिक संबंध रहे हैं।

“बुद्ध का संदेश तिब्बत की आत्मा में बसता है। यह गोष्ठी दोनों देशों के लोगों के बीच आध्यात्मिक पुल को और मजबूत करेगी।”

कार्यक्रम के अंत में तिब्बती मंदिर के प्रबंधक कंचुक लामा ने तासी दीकी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। प्रोजेक्टर के माध्यम से “तिब्बती को चीनी बनाना” विषय पर एक विशेष डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई, जिसमें तिब्बत पर चीनी अत्याचारों को दृश्य रूप में दिखाया गया।

गोष्ठी में एनसीसी कैडेट्स, बुद्ध धर्म के अनुयायी, स्थानीय गणमान्य व्यक्ति और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

डॉ. शुभलाल शाह — “तिब्बत की स्वतंत्रता मानवता की स्वतंत्रता है। भारत को वैश्विक स्तर पर इसकी पैरवी करनी चाहिए।”
तासी दीकी — “तिब्बत का दर्द दुनिया को महसूस करना होगा, तभी शांति और न्याय संभव है।”

कुशीनगर में भारत-तिब्बत संवाद मंच द्वारा “साझा विरासत एवं साझा भविष्य” विषय पर भव्य गोष्ठी आयोजित की गई। दलाई लामा की नोबेल शांति पुरस्कार वर्षगांठ पर तिब्बत की आजादी, भारत-तिब्बत संबंध और चीन के अत्याचारों पर गंभीर चर्चा हुई।

Check Also

अलीगढ़ में श्री अग्रवाल महासभा की नई कार्यकारिणी का भव्य शपथ ग्रहण समारोह सम्पन्न, मेयर प्रशांत सिंघल ने दिलाई पद एवं गोपनीयता की शपथ

अलीगढ़। श्री अग्रवाल महासभा की नवगठित कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह मंगलवार को जीटी रोड …