नई दिल्ली/बीजिंग।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद को लेकर एक बार फिर उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हुई है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को दावा किया कि दोनों देशों की सेनाओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए 25 अक्तूबर को कोर कमांडर स्तर की 23वीं बैठक की। यह बैठक भारतीय क्षेत्र में मोल्दो-चुशुल सीमा मिलन बिंदु पर आयोजित की गई।
चीनी रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इस बैठक में दोनों पक्षों ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी भाग से जुड़े मुद्दों पर “सक्रिय, व्यावहारिक और गहन चर्चा” की। मंत्रालय के अनुसार, दोनों सेनाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी सहमति के अनुरूप संवाद और वार्ता जारी रखने का निर्णय लिया है।
संवाद और सहयोग जारी रखने पर सहमति
चीनी मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संपर्क बनाए रखा जाएगा ताकि सीमा क्षेत्रों में स्थायी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बयान में कहा गया, “दोनों पक्ष नेताओं की महत्वपूर्ण सहमति के तहत चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करेंगे।”
हालांकि, भारतीय अधिकारियों की ओर से इस बैठक को लेकर अभी तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। रक्षा और विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने केवल यह कहा कि संवाद प्रक्रिया जारी है और भारत अपनी सीमा की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
लंबे समय से जारी गतिरोध
बता दें कि मई 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच सीमा तनाव बना हुआ है। दोनों देशों ने अब तक कोर कमांडर स्तर की 22 से अधिक वार्ताएं की हैं, जिनके तहत कुछ विवादित बिंदुओं से सैनिकों की चरणबद्ध वापसी हुई है। फिर भी, पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों — जैसे डेपसांग और डेमचोक — में तनाव पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
राजनयिक और सैन्य स्तर पर जारी प्रयास
विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक दोनों देशों के बीच स्थायी समाधान की दिशा में एक और कदम हो सकती है। चीन की ओर से जारी बयान यह संकेत देता है कि बीजिंग और नई दिल्ली दोनों सीमा पर किसी भी नए टकराव से बचना चाहते हैं। आने वाले समय में दोनों देशों के बीच कार्य-स्तरीय वार्ताएं भी जारी रहने की संभावना है।
निष्कर्ष
भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव भले ही पूरी तरह खत्म नहीं हुआ हो, लेकिन यह वार्ता यह संकेत देती है कि दोनों पक्ष संवाद और कूटनीति के ज़रिए स्थिरता और भरोसे का माहौल बहाल करने की दिशा में प्रयासरत हैं। अब देखना होगा कि इस 23वीं बैठक के बाद जमीनी स्तर पर क्या ठोस प्रगति देखने को मिलती है।
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