World Thalassemia Day 2022 : हर साल 8 मई को दुनियाभर में ‘विश्व थैलेसीमिया दिवस’ मनाया जाता है. थैलेसीमिया एक रक्त संबंधी बीमारी है, जो अनुवांशिक यानी जेनेटिक होती है. यह बीमारी माता- पिता से पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती जाती है. बचपन से ही बच्चों में होने वाली इस बीमारी में बच्चों को बार-बार ब्लड बैंक ले जाना होता है. इस बीमारी में मरीज को खून की जरूरत से ज्यादा कमी होने लगती है, जिस कारण उन्हें बाहर से खून चढ़ाना पड़ता है. खून की कमी से मरीज के शरीर में हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता और उन्हें एनीमिया हो जाता है. मरीज को जीवित रहने के लिए हर दो से तीन सप्ताह बाद खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है.
उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा राज्य के समस्त जिला चिकित्सालयों में थैलेसीमिया स्क्रीनिंग की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है।
विश्व थैलेसीमिया दिवस का इतिहास
साल 1994 में पहली बार ‘विश्व थैलेसीमिया दिवस’ मनाने पर विचार किया गया था. इसी साल थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन ने 8 मई के दिन को थैलेसीमिया के मरीजों के नाम डेडिकेट किया था और इस बीमारी से जूझ रहे रोगियों के संघर्ष के प्रति जन सामान्य में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन की स्थापना की गई थी. तब जॉर्ज एंगलजोस इस थैलेसीमिया अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन के अध्यक्ष और संस्थापक के रूप में काम करते थे.
क्या होता है थैलेसीमिया के लक्षण
थैलेसीमिया एक स्थायी रक्त विकार है, जो अनुवांशिक होता है. इसके कारण मरीज के लाल रक्त कण और हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता. थैलेसीमिया होने पर सर्दी-जुकाम बना रहता है और पेशेंट हमेशा बीमार महसूस करता है. ऐसे में सांस लेने में तकलीफ होती है और शरीर में कमजोरी और दर्द रहता है. इसके अलावा, दांतों का बाहर की ओर आ जाना, उम्र के अनुसार शारीरिक विकास न होना, शरीर का पीला पड़ना आदि लक्षण हैं.