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Ramlila Stage Sparks Controversy : धार्मिक आयोजन बना विवाद का मंच, आयोजकों पर कार्रवाई की मांग

एट में रामलीला मंच पर अश्लील नृत्य का आरोप, धर्म और आस्था को किया गया शर्मसार, क्षेत्र में भड़का आक्रोश – नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ उठी कार्रवाई की मांग

जालौन जनपद के नगर पंचायत एट से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने धार्मिक भावनाओं को झकझोर कर रख दिया है। यहां पर आयोजित रामलीला महोत्सव में आस्था की आड़ में खुलेआम अश्लीलता परोसे जाने का आरोप लगा है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह कार्यक्रम विकास कॉलोनी स्थित पशु चिकित्सालय की भूमि पर नगर पंचायत की ओर से कराया जा रहा था। परंतु जिस मंच से भगवान श्रीराम की पावन लीला का मंचन होना चाहिए था, वहीं पर बार बालाओं को बुलाकर फिल्मी गानों पर ठुमके लगवाए गए।

“सलाम-ए-इश्क़” जैसे गानों पर बार बालाओं के ठुमके, धार्मिक मंच की मर्यादा तार-तार

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आयोजन के दौरान “सलाम-ए-इश्क़ मेरी जान कबूल कर लो” जैसे फिल्मी गानों पर डांस कराया गया। मंच पर बार बालाएं अशोभनीय नृत्य करती रहीं और दर्शकों में बैठे बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग यह सब देखकर असहज हो उठे।
स्थानीय नागरिकों ने इसे “आस्था के मंच पर अश्लीलता” बताते हुए कड़ी निंदा की है। लोगों का कहना है कि इस तरह के कृत्य से न केवल धार्मिक आयोजन की गरिमा का अपमान हुआ है बल्कि समाज में गलत संदेश भी गया है।

“सलाम-ए-इश्क़” जैसे गानों पर बार बालाओं के ठुमके, धार्मिक मंच की मर्यादा तार-तार

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आयोजन के दौरान “सलाम-ए-इश्क़ मेरी जान कबूल कर लो” जैसे फिल्मी गानों पर डांस कराया गया। मंच पर बार बालाएं अशोभनीय नृत्य करती रहीं और दर्शकों में बैठे बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग यह सब देखकर असहज हो उठे।
स्थानीय नागरिकों ने इसे “आस्था के मंच पर अश्लीलता” बताते हुए कड़ी निंदा की है। लोगों का कहना है कि इस तरह के कृत्य से न केवल धार्मिक आयोजन की गरिमा का अपमान हुआ है बल्कि समाज में गलत संदेश भी गया है।

धार्मिक संगठनों ने जताया विरोध

घटना के बाद कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया है। संगठनों का कहना है कि “रामलीला मंच भगवान के चरित्रों के पावन मंचन के लिए होता है, न कि मनोरंजन या नृत्य प्रदर्शन के लिए।
उन्होंने मांग की है कि इस मामले की जांच कर जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति धार्मिक आयोजनों की आड़ में समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ न कर सके।

बच्चों और महिलाओं में असहजता, कई परिवार लौटे बीच कार्यक्रम से

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जैसे ही मंच पर बार बालाओं ने नृत्य करना शुरू किया, वहां मौजूद कई परिवार, महिलाएँ और बच्चे कार्यक्रम स्थल से उठकर चले गए। लोग आपस में चर्चा करते रहे कि यह सब किसी धार्मिक आयोजन का हिस्सा नहीं हो सकता।
कई लोगों ने मोबाइल से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किए, जो अब तेजी से वायरल हो रहे हैं। इससे प्रशासन की भूमिका और निगरानी पर भी सवाल उठ रहे हैं।

आयोजक चुप, प्रशासन मौन

जब स्थानीय मीडियाकर्मियों ने आयोजकों से इस विषय पर बात करने की कोशिश की तो किसी ने भी आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।
वहीं प्रशासनिक स्तर पर भी अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। नगर पंचायत एट प्रशासन इस पूरे विवाद पर चुप्पी साधे हुए है।
लोगों का कहना है कि जब मंचन की अनुमति दी गई थी, तब कार्यक्रम की निगरानी और सांस्कृतिक सामग्री की जांच क्यों नहीं की गई?

वीडियो साक्ष्य के आधार पर हो कार्रवाई की मांग

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि आयोजन स्थल के वीडियो फुटेज और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की जांच कराई जाए। अगर आरोप सही साबित होते हैं तो संबंधित अधिकारियों और आयोजकों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

धार्मिक आस्था के अपमान से गुस्से में जनता

एट नगर के लोगों का कहना है कि इस तरह की हरकतों से धर्म, संस्कृति और आस्था की पवित्रता पर आघात पहुंचता है।
स्थानीय व्यापारी संघ के प्रतिनिधियों ने कहा —

“रामलीला के मंच पर भगवान के चरित्रों की लीलाएं देखना हमारा सौभाग्य होता है, लेकिन इस बार मंच पर जो हुआ, उसने हर श्रद्धालु को शर्मसार कर दिया।”

प्रशासनिक कार्रवाई की उम्मीद

फिलहाल प्रशासन की ओर से घटना की जांच की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, एसडीएम उरई और जालौन पुलिस प्रशासन ने रिपोर्ट तलब की है। यदि वीडियो और साक्ष्यों में आरोप सही पाए जाते हैं, तो आयोजकों और जिम्मेदारों पर सांस्कृतिक और धार्मिक मर्यादा भंग करने के आरोप में कार्रवाई की जा सकती है।

एट रामलीला विवाद केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का मामला नहीं, बल्कि धार्मिक मर्यादा और सामाजिक मूल्य की परीक्षा बन गया है।
लोगों की मांग है कि सरकार और प्रशासन ऐसे आयोजनों पर सख्त निगरानी रखे ताकि धर्म के नाम पर अश्लीलता और भ्रामक मनोरंजन को जगह न मिल सके।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस विवाद पर कितना संज्ञान लेता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है।

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