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ED: भेड़ों की खरीद-बिक्री का घोटाला; सरकार को 33 जिलों में 1000 करोड़ से अधिक का नुकसान, रिकॉर्ड में हेराफेरी

एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि राज्य में नई सरकार के गठन के बाद पूर्व मंत्री थलसानी श्रीनिवास यादव के ओएसडी ने विभाग के कार्यालय से कुछ रिकॉर्ड हटा दिए थे। भेड़ इकाइयों की आपूर्ति के लिए उन्हें भुगतान की जाने वाली 2.1 करोड़ रुपये की राशि को विभागीय सहायक निदेशकों द्वारा अन्य असंबद्ध खातों में स्थानांतरित करके गबन कर लिया गया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), हैदराबाद जोनल कार्यालय ने 30.07.2025 को तेलंगाना राज्य में ‘भेड़ पालन विकास योजना (एसआरडीएस)’ के कार्यान्वयन में वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत हैदराबाद में आठ स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया है। जी कल्याण कुमार (तत्कालीन पशुपालन मंत्री थलसानी श्रीनिवास यादव के ओएसडी) के परिसरों के साथ-साथ ईडी जांच के दौरान पहचाने गए कुछ लाभार्थियों और बिचौलियों के परिसरों में तलाशी ली गई। ईडी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी), हैदराबाद द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर इस मामले की जांच शुरू की थी।

एक एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि राज्य में नई सरकार के गठन के बाद पूर्व मंत्री थलसानी श्रीनिवास यादव के ओएसडी ने विभाग के कार्यालय से कुछ रिकॉर्ड हटा दिए थे। भेड़ इकाइयों की आपूर्ति के लिए उन्हें भुगतान की जाने वाली 2.1 करोड़ रुपये की राशि को विभागीय सहायक निदेशकों द्वारा अन्य असंबद्ध खातों में स्थानांतरित करके गबन कर लिया गया। इसके अलावा, मार्च-2021 को समाप्त अवधि के लिए सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट ने एसआरडीएस योजना के कार्यान्वयन में कई अनियमितताओं का खुलासा किया, जैसे लाभार्थीवार विवरण का रखरखाव न करना, परिवहन चालान और भुगतान से संबंधित चालान का अनुचित रिकॉर्ड, नकली/यात्री वाहन/गैर-परिवहन वाहन पंजीकरण संख्या वाले चालान के खिलाफ भुगतान, भेड़ इकाइयों को आवंटित डुप्लिकेट टैग, मृत/गैर-मौजूद व्यक्तियों को आवंटित भेड़ इकाइयां आदि।

सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट केवल 07 जिलों (तेलंगाना में 33 में से) तक सीमित है, जिसमें सरकार को अनुमानित नुकसान 253.93 करोड़ रुपये आंका गया था। पूरे तेलंगाना राज्य के सभी 33 जिलों के लिए आनुपातिक आधार पर, नुकसान 1000 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है। हालांकि, जांच से पता चला है कि एसआरडीएस की शुरुआत से पहले, ये लाभार्थी भेड़ों की बिक्री/आपूर्ति के व्यवसाय में शामिल नहीं थे। इसके अलावा, जाँच में पता चला कि इन धनराशि प्राप्तकर्ताओं द्वारा भेड़ों की कभी कोई बिक्री/खरीद नहीं की गई थी।

ईडी के मुताबिक, सरकारी धन को अवैध रूप से फर्जी विक्रेताओं के बैंक खातों में भेज दिया गया था। ईडी की जाँच ने ऑडिट के निष्कर्षों की भी पुष्टि की, जिसमें फर्जी विक्रेताओं को किए गए भुगतान और भेड़ इकाइयों के पुनर्चक्रण के साक्ष्य पाए गए, जिनका उद्देश्य भेड़ इकाइयों की वास्तविक आपूर्ति के बिना सरकारी धन से धोखाधड़ी से भुगतान का दावा करना था।

तलाशी अभियान के दौरान विभिन्न सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों को रिश्वत के रूप में अवैध भुगतान के संकेत देने वाले लेनदेन से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री बरामद और जब्त की गई। इसके अतिरिक्त, एक परिसर से कई बैंक खातों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए, जिनमें एक अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी एप्लिकेशन से जुड़े 200 से अधिक संदिग्ध डमी/म्यूल खातों से जुड़े खाली चेकबुक, पासबुक और डेबिट कार्ड शामिल हैं। तलाशी के दौरान 31 पुराने मोबाइल फोन और 20 से अधिक सिम कार्ड भी जब्त किए गए, जिनके अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल होने का संदेह है। मामले में आगे की जांच जारी है।

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