लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की आज 88 वीं जयंती है. सामाजिक न्याय के लिए राष्ट्रपति पद को ठुकरा देने वाले, डी.आर.डी.ओ. में ‘वैज्ञानिक पद के त्यागी, बसपा, बामसेफ और डी.एस.4 के संस्थापक मान्यवर कांशीराम साहेब की जयंती पर कोटिश: नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि दी.
यूपी सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा भव्य : 2024 के इलेक्शन की दिखेगी छाप
बहुजनों के समग्र विकास के लिए आंदोलन करने वाले महानायक कांशी राम साहेब का जन्म: 15 मार्च 1934 में ग्राम-पिर्थीपुर बुंगा, जिला-खवसपुर, रूपनगर, पंजाब (भारत) में हुआ था। 1958 में विज्ञान से स्नातक करने के पश्चात पुणे स्थित डीआरडीओ में बतौर सहायक वैज्ञानिक के पद पर कार्य करने लगे।
जमीनी नेता थे कांशीराम
सामाजिक अन्याय ने उन्हें नौकरी से त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया। त्यागपत्र देने के पश्चात राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। एक ऐसे जमीनी नेता थे जो साइकिल एवं पैदल चलकर राजनीति की नींव रखी।
अटल बिहारी वाजपेई जी द्वारा राजनीतिक कैरियर शून्य कर देने के उद्देश्य से उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने सामाजिक न्याय के लिए “फर्स्ट एमांग इक्वल” दलित समाज को ऊंचे ओहदे पर बैठाने के लिए राष्ट्रपति के पद को अस्वीकार कर दिया।
बाबा साहब की पूना पैक्ट समझौते के पश्चात उन्होंने कहा कि चमचा युग की शुरूआत हो चुकी है। सच्चे योद्धा को कमजोर करने के लिए राष्ट्रीय पार्टियां चमचों को तैयार करती हैं।
अनमोल कार्य
1- बामसेफ- बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटी फेडरेशन (बामसेफ) की स्थापना किए जिसमें नौकरी में लगे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कर्मचारी थे।
2- डी.एस.4- दलित शोषित समाज संघर्ष समिति की नीव रखी।
3- बसपा- 1984 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा/बीएसपी) का गठन किया जिसके फलस्वरूप सुश्री मायावती उत्तर प्रदेश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनी।
अखिलेश यादव ने भाजपा पर बोला हमला : कहा- लोकतंत्र का मूलाधार खतरे में है
कांशीराम की अभिलाषा
- मेरी ख्वाहिश है कि कुमारी मायावती दीर्घायु होकर मिशन के लिए काम करती रहें।
- मेरी अस्थियां नदियों में न बहाई जाएं, बल्कि उन्हें बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र में रख दिया जाए।
- मायावती की अस्थियां भी मेरे बगल में पार्टी कार्यालय में ही रखी जाए।
कांशीराम की प्रतिज्ञाएं
- अब कभी घर नहीं आऊंगा.
- कभी अपना घर नहीं खरीदूंगा.
- गरीबों दलितों का घर ही मेरा घर होगा.
- सभी रिश्तेदारों से मुक्त रहूंगा
- किसी के शादी, जन्मदिन, अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होऊंगा.
- कोई नौकरी नहीं करूंगा.
- जब तक बाबा साहब अंबेडकर का सपना पूरा नहीं हो जाता, चैन से नहीं बैठूंगा.
कांशीराम के प्रसिद्ध नारे
“जिनकी जितनी संख्या भारी,
उनकी उतनी हिस्सेदारी। “
” निकलो बंद मकानों से,
जंग लड़ो बेईमानो से।
” पहले धन और धरती बांटो,
फिर हमारा आरक्षण काटो।
पुस्तकें
1- “An Era of the Stooges”
“चमचा युग” 1982- कांशीराम
2- “Birth of BAMCEF” कांशीराम
3- “दलितों के नेता कांशीराम” बद्रीनारायण तिवारी
4- “बहुजन नायक कांशीराम के अविस्मरणीय भाषण” अनुज कुमार
5- “कांशीराम के लेख और भाषण” 1997, एस.एस. गौतम
5- “लोकतंत्र के प्रहरी-मा. कांशीराम” ए.आर. अकेला आदि
मृत्यु- शुगर एवं हाई ब्लड प्रेशर के कारण 9 अक्टूबर 2006 को 72 वर्ष की आयु में दिल्ली से सदा के लिए विदा हो गए।
Child Vaccination: अब 12 से 14 साल के बच्चों को लगेगा टीका, 60+ को मिलेगी प्रिकॉशन डोज
Hind News 24×7 | हिन्द न्यूज़ Latest News & Information Portal