नई दिल्ली। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भारत दौरे पर हैं. जॉनसन के दो दिवसीय भारत यात्रा का आज दूसरा दिन है और अब उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में ब्रिटिश पीएम की आगवानी की. जिसके बाद बोरिस जॉनसन और पीएम मोदी राजघाट पहुंचे और उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित की.
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ताजा जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी और बोरिस जॉनसन के बीच हैदराबाद हाउस में मुलाकात चल रही है. बताया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापार और रूस-यूक्रेन युद्ध पर बातचीत हो सकती है. वहीं, खास फोकस हिंद- प्रशांत की स्थिति पर होगा.
बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को कहा कि, दुनिया निरंकुश देशों से बढ़ते खतरों का सामना कर रही है, जो लोकतंत्र को कमतर, मुक्त व्यापार को खत्म करने और सम्प्रभुत्ता को कुचलना चाहते हैं और ऐसे में भारत के साथ ब्रिटेन की साझेदारी समुद्री तूफानों में प्रकाशपुंज है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता से पहले जॉनसन ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच जलवायु परिवर्तन से लेकर ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा तक के मुद्दों पर भागीदारी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देश भविष्य की ओर देख रहे हैं.
दोनों देश नए जटिल खतरों का सामना कर रहे
ब्रिटिश उच्चायोग ने कहा कि जॉनसन के प्रधानमंत्री मोदी के साथ पांच क्षेत्रों भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर में अगली पीढ़ी की रक्षा और सुरक्षा भागीदारी पर चर्चा करने की उम्मीद है क्योंकि दोनों देश नए जटिल खतरों का सामना कर रहे हैं.
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उसने एक बयान में कहा कि इसमें भारत निर्मित नए लड़ाकू विमानों के लिए सहयोग, युद्धक विमान निर्माण पर ब्रिटेन की उत्कृष्ट जानकारी पेश करना और हिंद महासागर में सूचनाओं की पहचान तथा उनसे निपटने के लिए नयी प्रौद्योगिकी के वास्ते भारत की आवश्यकताओं में सहयेाग देना शामिल है.
हम दोनों लोकतंत्र हैं और साथ रहना चाहते हैं- बोरिस जॉनसन
इन तमाम कार्यक्रम के बाद रात साढ़े 10 बजे बोरिस जॉनसल दिल्ली से लंदन के लिए रवाना हो जाएंगे. इससे पहले गुरुवार को गुजरात दौरे के दौरान ब्रिटिश पीएम ने कहा था कि भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से बहुत अलग रिश्ते हैं. हम दोनों लोकतंत्र हैं और एक साथ रहना चाहते हैं. इस क्षेत्र की वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को देखते हुए ऐसा करना उचित है.
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भारत और ब्रिटेन दोनों दुनिया भर में निरंकुशता के बारे में चिंता साझा करते हैं. हम साल के अंत तक भारत के साथ एक और मुक्त व्यापार समझौता करने की उम्मीद कर रहे हैं. हमारे पास अपनी सुरक्षा और रक्षा के मसले पर साझेदारी को मजबूत करने का भी मौका है.