उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद से एक बड़ा फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय प्रशासन और जनता दोनों को हैरान कर दिया है। गैण्डास बुजुर्ग थाना क्षेत्र में तीन आरोपियों ने आयुष्मान कार्ड बनवाने के बहाने एक व्यक्ति की जमीन पर फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर बैनामा करा लिया। पुलिस ने इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए तीनों शातिर ठगों को गिरफ्तार कर लिया है।

मिली जानकारी के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति को आरोपियों ने यह कहकर झांसे में लिया कि वे उसका आयुष्मान भारत कार्ड बनवाने में मदद करेंगे, जिससे उसे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। इसी बहाने आरोपियों ने उससे कुछ दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करवा लिए। बाद में उन्हीं दस्तावेजों का इस्तेमाल कर जमीन का फर्जी बैनामा करा लिया गया।
घटना तब सामने आई जब पीड़ित व्यक्ति को अपनी जमीन पर दूसरों का कब्जा दिखा। जब उसने तहसील और राजस्व विभाग में जांच कराई, तो फर्जी बैनामा दस्तावेज़ सामने आए। यह देखकर पीड़ित के होश उड़ गए। उसने तत्काल इसकी शिकायत थाना गैण्डास बुजुर्ग पुलिस से की।
पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की, जिसमें यह खुलासा हुआ कि तीन लोगों ने मिलकर कूट रचित दस्तावेज़ (forged documents) के माध्यम से करीब 25 लाख रुपये मूल्य की जमीन हड़प ली थी।
गिरफ्तार हुए तीनों आरोपी
थाना प्रभारी गैण्डास बुजुर्ग ने बताया कि पुलिस ने जांच के आधार पर तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान इस प्रकार की गई है —
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रामप्रसाद, निवासी ग्राम गैण्डास बुजुर्ग
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संदीप यादव, निवासी थाना क्षेत्र गैण्डास बुजुर्ग
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रवीश सिंह, निवासी समीपवर्ती गांव
तीनों को पुलिस ने ठोस सबूतों के आधार पर हिरासत में लेकर पूछताछ की, जिसमें उन्होंने अपराध स्वीकार कर लिया। पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से पीड़ित को विश्वास में लेकर उसके दस्तावेज़ हासिल किए और फिर उन्हें फर्जी तरीके से उपयोग में लाया।
थाना प्रभारी गैण्डास बुजुर्ग ने बताया —
“आरोपियों ने सरकारी योजना के नाम पर धोखाधड़ी की है। उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर बैनामा कर लिया था। तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायालय भेजा गया है। पीड़ित की जमीन को लेकर कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई है ताकि उसका अधिकार बहाल किया जा सके।”
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्र, आधार कार्ड और रजिस्ट्री संबंधी कागजात तैयार करवाए थे। दस्तावेज़ों में नकली मोहरें और झूठे गवाहों का भी इस्तेमाल किया गया था।
इस पूरे गिरोह ने सरकारी योजना के नाम पर आम लोगों को ठगने का एक सुनियोजित नेटवर्क बना रखा था। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि क्या इस गिरोह के तार अन्य जिलों से भी जुड़े हैं।
बताया जा रहा है कि जिस जमीन पर फर्जी तरीके से बैनामा कराया गया था, उसकी अनुमानित कीमत करीब 25 लाख रुपये है। पुलिस ने राजस्व विभाग के साथ मिलकर जमीन की रजिस्ट्री रद्द कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जिले के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी सरकारी योजना से संबंधित कार्य में अनजान व्यक्तियों पर भरोसा न करें।
किसी भी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से पहले उसकी सत्यता और उद्देश्य की पूरी जानकारी लें।
बलरामपुर पुलिस की इस कार्रवाई से न केवल एक बड़ा फर्जीवाड़ा बेनकाब हुआ है बल्कि यह घटना जनता के लिए एक चेतावनी भरा संदेश भी है कि किस प्रकार कुछ लोग सरकारी योजनाओं का नाम लेकर भोले-भाले लोगों को ठग रहे हैं।
फिलहाल पुलिस तीनों आरोपियों से पूछताछ कर रही है ताकि इस पूरे फर्जी दस्तावेज़ रैकेट के अन्य सदस्यों का भी पता लगाया जा सके।
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