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रिपोर्ट — संवाददाता मुनेन्द्र शर्मा
लोकेशन — बदायूं
बदायूं। जिले में रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही किसानों में यूरिया खाद की बढ़ती मांग को देखते हुए भारी भीड़ देखने को मिल रही है। लेकिन बदायूं के उसावा क्षेत्र स्थित इफको ई-बाज़ार में सचिव की मनमानी के कारण किसानों को खाद के लिए बेहाल होना पड़ रहा है। यहां किसानों को जबरन यूरिया खाद के साथ दवाई की बोतल थमा दी जाती है, और विरोध करने पर खाद देने से सीधा इनकार कर दिया जाता है।
“दो बोरी यूरिया लेना है तो साथ में दवाई की सीसी अनिवार्य”— सचिव का फरमान
एंकर के अनुसार, खेतों की जरूरत के लिए किसान जब यूरिया लेने लाइन में घंटों इंतजार करते हैं, तब उन्हें दो बोरी यूरिया के साथ एक दवाई की बोतल जबरन खरीदनी पड़ती है। कई किसान आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जिनके पास दवाई खरीदने के पैसे नहीं हैं, लेकिन सचिव के डर और मजबूरी में उन्हें दवाई लेना ही पड़ता है।
किसानों ने बताया कि
“खाद चाहिए तो दवाई ज़रूरी… नहीं तो खाद ही नहीं मिलेगी”
यह नियम सचिव बिना किसी सरकारी आदेश के लागू कर रहा है।
266 की खाद 270 में, ऊपर से दवाई का बोझ
कई किसानों ने आरोप लगाया है कि
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266 रुपये की यूरिया खाद उन्हें 270 रुपये में बेची जा रही है।
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ऊपर से दवाई की बोतल खरीदने का दबाव डाला जा रहा है।
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गरीब किसान मजबूरी में अतिरिक्त खर्च उठाने को विवश हैं।
स्थानीय किसानों का कहना है कि उनका शोषण बर्दाश्त से बाहर हो चुका है, लेकिन शिकायत की जाए तो कार्रवाई के बजाय सचिव और भी परेशान करने लगता है।
रसूखदारों को घर पर खाद सप्लाई, गरीब लाइन में त्रस्त
किसानों ने यह भी बड़ा खुलासा किया है कि
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क्षेत्र के प्रभावशाली और रसूखदार लोगों को सचिव सीधे घर पर खाद पहुंचाता है।
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वही गरीब किसान सुबह से शाम तक लाइन में खड़े रहें तब भी उन्हें नियमों के नाम पर टरकाया जाता है।
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कई बार उनकी बारी आने तक खाद खत्म भी कर दी जाती है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकारी व्यवस्थाएं सिर्फ रसूखदारों की सुविधा के लिए हैं?
किसानों का सवाल— क्या ऐसे ही उनकी आय दोगुनी होगी?
किसानों का दर्द साफ झलकता है।
सरकार और प्रशासन दावा करता है कि किसानों की आय दोगुनी की जाएगी, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है।
किसानों का कहना है:
“जब खाद तक के लिए शोषण झेलना पड़ रहा, तो आय दोगुनी होने का वादा कैसे पूरा होगा?”
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल, कार्रवाई की मांग तेज
स्थानीय लोग और किसान प्रशासन से पूछ रहे हैं—
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क्या इफको ई-बाजार में खाद खरीदने के साथ दवाई लेना अनिवार्य है?
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क्या सचिव को यह अधिकार दिया गया है कि वह जबरन कोई अतिरिक्त सामान बेचे?
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गरीब किसानों से अधिक पैसे वसूलना क्या सरकारी नियमों के तहत आता है?
किसान मांग कर रहे हैं कि:
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सचिव के कामकाज की जांच हो
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ज्यादा वसूले गए पैसे वापस कराए जाएं
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गरीब किसानों का शोषण रोका जाए
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खाद वितरण प्रणाली पारदर्शी बनाई जाए
अभी तक कार्रवाई नहीं, किसानों में आक्रोश बढ़ा
लंबे समय से चल रही इस मनमानी पर अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया है।
किसानों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक रूप से तहसील और जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
निष्कर्ष
बदायूं के उसावा क्षेत्र में यूरिया खाद को लेकर फैली अव्यवस्था, सचिव की मनमानी और किसानों के शोषण की यह कहानी सिर्फ एक इलाके की समस्या नहीं, बल्कि यह दिखाती है कि जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाएं कैसे लागू हो रही हैं।
अब सबकी नजरें प्रशासन पर हैं—
क्या किसानों की पीड़ा सुनी जाएगी या फिर यह शोषण आगे भी जारी रहेगा?
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