उत्तर प्रदेश के बदायूँ जनपद से गुरुवार को गौ तस्करी से जुड़ा एक बड़ा खुलासा सामने आया है। लगातार बढ़ रहे गौकशी के मामलों के बीच अब पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।

बताया जा रहा है कि गौ सेवकों और हिंदू संगठनों के सदस्यों ने मिलकर सहसवान थाना क्षेत्र के जंगलों में घेराबंदी कर लगभग एक दर्जन गौ तस्करों को रंगे हाथों पकड़ लिया। इनमें अंतरराज्यीय तस्कर गिरोह के सदस्य और कुछ महिलाएं भी शामिल बताई जा रही हैं।
घटनास्थल से चौंकाने वाला खुलासा
मौके पर पकड़े गए एक तस्कर ने पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि उझानी थाना क्षेत्र से पहले ही एक गाड़ी में करीब 30 गौवंशों को भेजा जा चुका है, जबकि यह दूसरी खेप थी जिसे ले जाया जा रहा था। यह जानकारी सामने आने के बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।
गौ सेवकों ने बताया कि वे लंबे समय से इस गिरोह की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। गुरुवार को जब उन्हें पुख्ता सूचना मिली, तो उन्होंने हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जंगल क्षेत्र में घेराबंदी की और तस्करों को मौके पर ही पकड़ लिया।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
मामले की जानकारी मिलते ही सहसवान थाना पुलिस मौके पर पहुंची। लेकिन गौ सेवकों का आरोप है कि पुलिस गौवंश की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है और कई बार तस्करों को राजनीतिक दबाव या लेनदेन के चलते छोड़ दिया जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में पिछले कई महीनों से लगातार गौकशी की घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन पुलिस की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
स्थानीयों में आक्रोश, जांच की मांग
घटना के बाद पूरे क्षेत्र में भारी आक्रोश और गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच की मांग की है।
लोगों का कहना है कि यदि पुलिस समय रहते सक्रिय होती तो इतनी बड़ी संख्या में गौवंशों की तस्करी नहीं हो पाती।
गौ सेवकों ने आरोप लगाया कि कुछ स्थानीय पुलिसकर्मी तस्करों से मिलीभगत कर रहे हैं, जिसकी वजह से ऐसे मामले बार-बार सामने आ रहे हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई की उम्मीद
फिलहाल पकड़े गए सभी तस्करों को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उच्चाधिकारियों को भी घटना की सूचना दे दी गई है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया जाएगा और पुलिस की भूमिका की भी जांच होगी।
यह मामला न केवल गौ तस्करी के बढ़ते नेटवर्क की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि प्रशासनिक सतर्कता की कमी किस तरह अपराधियों को बढ़ावा दे रही है। स्थानीय लोगों की मांग है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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