उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता आजम खान जेल से बाहर आ चुके हैं। जेल से रिहाई के बाद आज उनसे मुलाकात करने सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच हुई यह बैठक मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता इस मुलाकात पर सख्त टिप्पणी कर रहे हैं।
दानिश आजाद अंसारी का बयान:
उत्तर प्रदेश के मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि जब आजम खान जेल में थे, तब समाजवादी पार्टी को उनकी कोई याद नहीं आई। उनका आरोप है कि सपा केवल चुनावों के समय मुसलमानों को गुमराह करने की नीयत से रामपुर पहुंच रही है। मंत्री अंसारी ने कहा,
“समाज भी देख रहा है कि यह केवल एक राजनीतिक स्टंट है। सपा के शीर्ष नेता ने आजम खान से आखिरी बार 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही मुलाकात की थी। अब उन्हें केवल वोट मांगने और मुसलमानों को भ्रमित करने के लिए याद किया जा रहा है।”
नितिन अग्रवाल का बयान:
वहीं, बीजेपी के मंत्री नितिन अग्रवाल ने कहा कि आजम खान जेल से बाहर आए हैं, तीर्थ यात्रा से नहीं। गोंडा में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा,
“आजम खान कोई तीर्थ यात्रा से नहीं आए हैं, बल्कि न्यायालय की प्रक्रिया के तहत जेल में समय काटकर बाहर आए हैं। मीडिया को इस मामले में इतना हाइट देने की आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब अगर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उनसे मिलने जाते हैं, तो यह उनकी पार्टी का मामला है और इसे राजनीतिक रूप से तूल देना सही नहीं है।
बिहार चुनाव पर टिप्पणी:
इस अवसर पर नितिन अग्रवाल ने बिहार चुनाव को लेकर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि एनडीए एकजुट होकर चुनाव लड़ रही है और लालू यादव के ‘जंगल राज’ को समाप्त करने का काम किया गया है। उन्होंने लोगों से एनडीए को जीताने में सहयोग करने की अपील की।
निष्कर्ष:
आजम खान की जेल से रिहाई और सपा अध्यक्ष से उनकी मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। बीजेपी नेताओं ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया है, वहीं सपा इसे अपने नेता के प्रति सम्मान और पार्टी का कर्तव्य बता रही है। इस घटना से उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीतिक सरगर्मी पर भी असर पड़ सकता है।
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