आज लखनऊ स्थित लोकभवन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी ने डॉ. पनगड़िया का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. अरविंद पनगड़िया ने मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त आयोग की भूमिका और कार्यप्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि—
“भारत के संविधान के तहत हर पाँच वर्षों में वित्त आयोग का गठन किया जाता है, जिसे देश के राष्ट्रपति द्वारा विशेष रूप से केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के बंटवारे पर सिफारिशें देने का अधिकार होता है। यह एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है, जो सीधे राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपता है।”
डॉ. पनगड़िया ने स्पष्ट किया कि संसाधनों के वितरण की प्रक्रिया दो हिस्सों में बंटी होती है।
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ऊर्ध्वाधर विभाजन (Vertical Devolution): इसमें केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व का बंटवारा किया जाता है।
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क्षैतिज विभाजन (Horizontal Devolution): इसमें राज्यों के हिस्से में आए संसाधनों का 28 राज्यों के बीच आंतरिक वितरण किया जाता है।
उन्होंने कहा कि देश की वित्तीय संरचना को संतुलित और न्यायसंगत बनाए रखने में वित्त आयोग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। उनकी टीम राज्यों से विचार-विमर्श कर उनकी ज़रूरतों, चुनौतियों और संभावनाओं को समझने का प्रयास कर रही है, ताकि संसाधनों का वितरण उचित और प्रभावी ढंग से हो सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस अवसर पर प्रदेश की वित्तीय स्थिति, विकास परियोजनाओं, जनकल्याण योजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रगति से जुड़ी जानकारियाँ आयोग के समक्ष रखीं। उन्होंने उत्तर प्रदेश को “एक उभरते हुए विकास मॉडल” के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि राज्य को उसकी जनसंख्या और विकास जरूरतों के अनुपात में न्यायसंगत हिस्सा मिलना चाहिए।
इस बैठक को राज्य की वित्तीय योजनाओं के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, और उम्मीद की जा रही है कि इसके आधार पर आयोग उत्तर प्रदेश को अधिक संसाधन और सहयोग उपलब्ध कराने की दिशा में सकारात्मक सिफारिशें करेगा।