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जमीन के मालिक ने स्कूल में जड़ा ताला, भीषण गर्मी में गेट के बाहर बैठे रहे छात्र, जानें क्या है पूरा मामला

Vaishali News: बिहार के वैशाली जिले में एक सरकारी स्कूल में जमीन विवाद के कारण ताला लगा दिया गया, जिससे सैकड़ों छात्र पढ़ाई से वंचित हो गए। जानें पूरी घटना और प्रशासन की प्रतिक्रिया। पढ़ें वैशाली से सौरभ कुमार की रिपोर्ट।Vaishali News: बिहार के वैशाली जिले के गोरौल प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, भटौलिया में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जिस जमीन पर यह सरकारी स्कूल बना है, उसी जमीन के दानकर्ता के पोते ने स्कूल में ताला जड़ दिया है, जिससे विद्यालय के सैकड़ों छात्रों को भीषण गर्मी में स्कूल के बाहर गेट पर खड़ा रहना पड़ा।

60 साल पुरानी दान की गई जमीन, अब रजिस्ट्री को लेकर विवाद

जानकारी के अनुसार, जिस जमीन पर स्कूल बना है, वह लगभग 60 वर्ष पूर्व तत्कालीन मुखिया और जमीन मालिक द्वारा स्कूल निर्माण के लिए दान की गई थी। कुल 25 डिसमिल जमीन पर यह विद्यालय बना हुआ है। लेकिन अब जमीन मालिक के उत्तराधिकारी बेटे और पोते का कहना है कि शिक्षा विभाग ने अब तक इस जमीन की रजिस्ट्री नहीं करवाई है। उनका स्पष्ट कहना है कि- या तो रजिस्ट्री कराइए, या फिर जमीन खाली कीजिए।

कैसे मिली जानकारी?

इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब सोमवार सुबह स्कूल पहुंचने पर छात्रों और शिक्षकों को गेट बंद मिला। जल्द ही यह खबर इलाके में फैल गई और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बच्चों की परेशानी को देखकर अभिभावकों और ग्रामीणों में भी आक्रोश देखने को मिला।

स्कूल परिसर में लगाया ताला

इसी मांग को लेकर पोते ने स्कूल परिसर में ताला लगा दिया, जिससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई है। घटना की जानकारी मिलते ही शिक्षा विभाग के अधिकारी और सीओ (अंचलाधिकारी) मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभालने की कोशिश की।

छात्रों की पढ़ाई पर संकट

घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें स्कूल ड्रेस में दर्जनों छात्र गेट के बाहर खड़े नजर आ रहे हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि बिना छुट्टी के स्कूल के दरवाजे पर ताला क्यों लटका है। भीषण गर्मी में खुले आसमान के नीचे बैठे इन बच्चों की तस्वीरें शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर रही हैं।

प्रशासन ने दिया आश्वासन

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जमीन मालिक के परिजनों से बातचीत शुरू कर दी है और जल्द से जल्द समाधान का आश्वासन दिया है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि शिक्षा विभाग समय रहते कानूनी प्रक्रिया पूरी करता, तो बच्चों को यह दिन नहीं देखना पड़ता।

यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की जमीनी सच्चाई को भी सामने लाती है। बच्चों की पढ़ाई से खिलवाड़ किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। आवश्यक है कि विभाग समय पर कार्रवाई कर विद्यालय की वैधता सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में ऐसी शर्मनाक घटनाएं न हों।

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