स्लिप डिस्क रीढ़ की हड्डी में होने वाली एक मेडिकल कंडीशन है, जिसमें स्पाइन की भीरती रिंग के बोन्स में मौजूद जैली जैसा पदार्थ छल्लों से बाहर निकल आता है। यह स्थिति हड्डियों में खराबी आने या चोट लगने की वजह से हो सकती है। स्पाइन असल में कोई एक हड्डी नहीं, बल्कि 33 हड्डियों से बना एक समूह होता है।
स्लिप डिस्क की समस्या स्पाइन के किसी भी हिस्से में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर कमर के निचले हिस्से या लंबर डिस्क नंबर 14,15 में होती है। ज्यादातर मामलों में ये नंबर आपको एमआरआई की रिपोर्ट से पता चलते हैं।
स्लिप डिस्क होने की वजहें
वजन ज्यादा होना
अगर आप ओवरवेट हैं और मोटापे की श्रेणी में आ चुके हैं, तो स्लिप डिस्क आपके लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इसके कारण कमर के निचले हिस्से पर ज्यादा दबाव पड़ता है। इस समस्या के कारण आपको ठीक होने में भी कहीं ज्यादा समय लग सकता है।
गलत तरीके से चीज़ें उठाना
ध्यान रखें कि भारी चीज़ों को जमीन से ऊपर उठाकर न रखें, क्योंकि इन्हें उठाने का भी तरीका होता है। इस दौरान अगर आपका पोस्चर ठीक नहीं है, तो स्लिप डिस्क जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जमीन से ऊपर वजन उठाने के दौरान घुटनों को मोड़ना जरूरी है, इसलिए इस बात का ख्याल रखें।
ज्यादा देर तक ड्राइव करना
अगर आप ऑफिस जाने या फिर कहीं घूमने जाने के लिए बहुत ज्यादा देर तक ड्राइविंग कर रहे हैं, तो बैक बोन की समस्या हो सकती है। वहीं ड्राइविंग के दौरान झटक लगने से भी ऐसा होता है। इनके अलावा कैल्शियम की कमी, जेनेटिक्स और किसी ट्रॉमा से भी स्लिप डिस्क की समस्या से दो-चार होना पड़ सकता है।
बढ़ती उम्र
स्लिप डिस्क की प्रॉब्लम बढ़ती उम्र की वजह सेभी हो सकती है। 30 साल की उम्र के बाद शरीर में कैल्शियम की मात्रा घटने लगती है। अगर शरीर को जरूरी मात्रा में कैल्शियम नहीं मिल रहा हो, तो शरीर में हड्डियों को रिपेयर होने की रफ्तार घटने लगती है। इसके साथ ही हड्डियों में मौजूद पानी की मात्रा और इलास्टिसिटी भी घटने लगती है। अगर यह समस्या ज्यादा दिनों तक बनी रहे, तो थोड़े से झटके से भी बोन्स में समस्या आ सकती है। इसलिए समय-समय पर बॉडी चेकअप करवाते रहना चाहिए।
स्लिप डिस्क के लक्षण
शुरुआत में कमर दर्द में बाम या जेल लगाकर दर्द में आराम लाने की कोशिश की जाती है, लेकिन ये सभी उपाय कुछ समय के लिए ही राहत देते हैं। इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार है-
– कमर और जांघो में दर्द होना। यह दर्द हिप्स, पिंडली, पैर, पंजे, कंधे और हाथों में भी हो सकता है। यह दर्द रोजमर्रा के कामों जैसे टहलने और दौड़ने पर बढ़ जाता है।
– इसकी वजह से शरीर के कई हिस्से सुन्न हो सकते हैं। ये वही हिस्से होते हैं, जो रीढ़ की डिस्क से दबी नसों से जुड़े होते हैं। कई बार गंभीर मामलों में तो कमर के नीचे का पूरा धड़ सुन्न हो सकता है।
कमजोरी
इससे शरीर के कई हिस्से कमजोर हो सकते हैं। इसके अलावा आपको वजन उठाने या चीज़ों को पकड़कर रखने में भी समस्या हो सकती है। इस कमजोरी की वजह वह नस हो सकती है, जो स्लिप डिस्क के दौरान दब गई हो और वह संबंधित अंग से जुड़ी हुई हो। इसके मरीजों में इन समस्याओं के अलावा दस्त कंट्रोल न कर पाना, जलन, सूजन या खुजली आदि हो सकती है।
स्लिप डिस्क से बचाव के उपाय
स्लिप डिस्क के खतरे को कम करने के लिए कुछ एक्सरसाइजेस को रोजाना करें। जिससे ब्रिज पोज, प्लैंक जैसे योग कारगर हो सकते हैं और अगर पहले से ये समस्या है, तो किसी भी एक्सरसाइज की शुरुआत करने से पहले अपने डॉक्टर से पूछ लें।