हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौटे चार करोड़ कांवड़ यात्री, शहर में छोड़ गए 38 सौ मीट्रिक टन गंदगी
हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौटे लगभग चार करोड़ कांवड़ यात्री शहर में करीब 38 सौ मीट्रिक टन गंदगी छोड़ गए। इस गंदगी को साफ करने में नगर निगम को कम से एक सप्ताह का समय लगेगा। दुर्गंध से पूरा शहर बदहाल है।
नगर निगम के संसाधन इतनी गंदगी के आगे कम पड़ गए हैं। अब सफाई करना चुनौती बन गया है। शहर में बदबू के चलते मुंह पर रुमाल रखकर लोगों को निकलना पड़ रहा है। 14 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा के शुरुआती दिनों में यात्रियों की संख्या कम रही। लेकिन, बाद में संख्या बढ़ती गई। कांवड़ यात्रियों ने स्वच्छता का संदेश देने के बजाय जमकर गंदगी फैलायी।
कांवड़ यात्रा का आधा पड़ाव पूरा होने के बाद खाद्य पदार्थ, प्लास्टिक की बोतल, पालीथिन, पन्नी, कपड़े, जूते-चप्पल आदि सामान कूड़ेदान में डालने के बजाए सड़क और गंगा घाटों पर ही फेंक दिया। हरकी पैड़ी का संपूर्ण क्षेत्र गंदगी से अटा है। मालवीय घाट, सुभाष घाट, महिला घाट, रोड़ी बेलवाला, पंतद्वीप, कनखल, भूपतवाला, ऋषिकुल मैदान, बैरागी कैंप आदि क्षेत्रों में जगह-जगह शौच करने के चलते दुर्गंध का आलम है। इसके चलते राहगीरों का वहां निकलना मुश्किल हो गया है।
गंगा में कांवड़ बहाने के साथ ही प्लास्टिक तक बहा दी गयी। नाले नालियां चोक पड़े हैं। इससे नगर निगम अधिकारी भी चिंतित है। सालिड वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी कासा ग्रीन के निदेशक संजय चौहान की मानें तो शहर में जमा कूड़े को समेटने में करीब एक सप्ताह का वक्त लगेगा।
रोजाना 400 एमटी की दर से भी कूड़ा उठाया जाता है तो एक सप्ताह में करीब 2800 एमटी कूड़ा उठेगा। इन सात दिन में उत्पन्न होने वाले कूड़े को जोड़ दें तो संख्या 38 सौ एमटी को पार कर जाएगी।
आम दिनों में शहर से रोजाना 250 मीट्रिक टन कूड़ा होता है। हालांकि कूड़ा उठान और निस्तारण को नगर निगम की टीम युद्ध स्तर पर लगी है। हरकी पैड़ी क्षेत्र से ही भारी संख्या में कूड़ा उठाया गया है, जबकि कूड़ा उठान का कार्य लगातार जारी है।
इसमें प्लास्टिक समेत अन्य गंदगी भी शामिल है। शहर को दोबारा पहले जैसी स्थिति में लाने के लिए एक सप्ताह लगेगा। शौच करने वाले स्थान में हैरो मशीन चलायी गयी है। कीटनाशकों का छिड़काव किया गया है।