अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की हत्या नहीं हुई थी, बल्कि उन्होंने सुसाइड ही किया था। सीबीआई को अपनी जांच में हत्या के कोई सुबूत नहीं मिले हैं। इसलिए महंत के लिखे सुसाइड नोट के आधार पर सीबीआई ने प्रयागराज की सीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। चार्जशीट में सीबीआई ने महंत के परम शिष्य रहे आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप को आत्महत्या के लिए उकसाने व षडयंत्र की धारा में आरोप पत्र दाखिल किया। कोर्ट में दाखिल किए गए 19 पेज के आरोप पत्र में सीबीआइ ने बड़ा दावा किया है। आरोप पत्र में जांच एजेंसी ने कहा है कि महंत नरेंद्र गिरि की हत्या नहीं हुई थी। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ की जांच में यह साफ हो चुका है।
20 सितंबर को श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी के वेटिंग रूम में महंत का शव मिला था। हालात संदिग्ध थे। तमाम संत से लेकर दूसरे लोगों ने महंत की हत्या किए जाने की आशंका जताई थी। साथ ही कमरे में चलता पंखा, रस्सी के तीन टुकड़े के मिलने का वीडियो वायरल होना भी हत्या के बिंदु पर बल दे रहा था। मुख्य आरोपित आनंद गिरि ने भी एक साजिश के तहत महंत की हत्या किए जाने का आरोप लगाते कहा था कि बड़ी जांच एजेंसी इसका पर्दाफाश करेगी। ऐसे और भी कई वजह रहीं, जिनको देखते हुए मामले की जांच सीबीआइ को ट्रांसफर की गई थी। सूत्रों के अनुसार, अभियुक्त आनंद गिरि समेत तीनों आरोपितों के विरुद्ध सीबीआइ को अहम साक्ष्य मिले हैं, जिसे वह कोर्ट में साबित करेगी।
महंत नरेंद्र गिरि की म़ृत्यु के बाद सीबीआइ की दिल्ली टीम पिछले दो माह से पूरे मामले की छानबीन कर रही थी, लेकिन इस दौरान महंत की हत्या के बिंदु पर कोई सुबूत नहीं मिल सका। अलबत्ता आत्महत्या से पूर्व महंत की ओर से बनाया गया वीडियो और उनके सुसाइड नोट को खुदकशी का सबसे बड़ा आधार बनाया गया है। सीबीआई ने मठ, मंदिर और महंत से जुड़े तमाम लोगों के बयान दर्ज किए गए । इस दौरान उन्होंने महंत की किसी भी शख्स से दुश्मनी होने की जानकारी नहीं दी। शुरुआती जांच, पूछताछ में आत्महत्या से संबंधित साक्ष्य ही मिले।