वाराणसी के घाटों पर देव दीपावली की सारी तैयारियां पूरी हो गई हैं। इस बार देव दीपावली आज और कल दोनों दिन मनाई जा रही है।
इस दिन के उल्लास में लोग प्रत्येक साल देव दीपावली के दिन पवित्र गंगा नदी के तट पर सभी घाटों की सीढ़ियों पर लाखों मिट्टी के दीपक जलाते हैं। इस दिन पवित्र गंगा आरती 21 ब्राह्मण पुजारियों और 24 महिलाओं द्वारा की जाती है। इस समय हजारों की संख्या में भक्त और पर्यटक यहां मौजूद होते हैं। इस दिन घाटों की रोशनी और तैरते हुए दीये आकर्षक होते हैं। इस दिन यहां को दृश्य मनमोहक होता है।
देव दिवाली या देव दीपावली हर साल हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने के 15 वें चंद्र दिवस, यानी कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह नवंबर-दिसंबर में पड़ती है। दिवाली के 15 दिन बाद यह त्योहार पवित्र शहर वाराणसी में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन देवता दिवाली मनाते हैं, इसीलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है। इस बार देव दीपावली 19 नवंबर को मनाई जाएगी। इसे देखते हुए वाराणसी के यहां के 84 गंगा घाटों की साफ-सफाई और सजावट का काम बड़ी तेजी से चल रहा है। वहीं, 2 गंगा घाटों पर लेजर लाइट शो की भी तैयारी हो रही है। धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देवलोक से सभी देवी-देवता काशी के गंगा घाटों पर आते हैं। इसी वजह से यहां पर देव दीपावली मनाई जाती है। कहा जाता है इस दिन गंगा स्नान करने से जीवन भर के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदायिनी मां गंगा की एक-एक बूंद अमृत के समान होती है।
पिछले साल देव दीपावली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी के 84 गंगा घाटों की भव्य सजावट को अलकनंदा क्रूज से निहारा था। चेतसिंह किला घाट के लेजर शो के PM मोदी काफी मुरीद भी हुए थे। इसी को देखते हुए इस बार की देव दीपावाली को और व्यापक रूप देने पर प्रदेश सरकार का जोर है।
5 दिवसीय उत्सव देवोत्थान एकादशी से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग कार्तिक स्नान करते हैं, खासतौर पर भक्त पवित्र गंगा नदी में स्नान करने देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं। इस दिन शाम को तेल से दीप जलाकर गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है। शाम को दशमेश्वर घाट पर भव्य गंगा आरती की होती है. इस वक्त हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं। गंगा आरती के दौरान भजन-कीर्तन, लयबद्ध ढोल-नगाड़ा, शंख बजाये जाते हैं।