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Diwali 2021: जानें लक्ष्मी गणेश-पूजा में उपयोग होने वाली जरूरी सामग्री

Diwali Puja: दिवाली पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला रौशनी का त्योहार है। यह हिन्दुओं का बड़ा त्योहार होता है। यह पर्व अपने साथ कई त्योहारों को साथ लेकर आता है। दिवाली पर्व की शुरूआत धनतेरस से होती है, फिर इसके बाद नरक चतुर्दशी आता है। इसी दिन छोटी दिवाली मनायी जाती है। फिर दिवाली आती है उसके बाद गोवर्धन पूजा होती है और फिर अगले दिन भाई दूज आता है।

दिवाली के दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व

दिवाली के दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है. इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और बुद्धि के देवता भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से साल भर धन का प्रवाह और घर में खुशियां बनी रहती हैं. इस दिन लोग दीये, मोमबत्ती और लाइटों की झालर से घर की सजावट करते हैं. कई घरों में तो इस त्योहार की तैयारियां एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती हैं. मान्यता है कि दिवाली से पहले घरों की साफ सफाई इसलिए की जाती है क्योंकि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी घर में आती हैं और अगर घर साफ न हो तो वह रूठ जाती हैं. इस बार दिवाली 4 नवंबर को मनाई जाएगी.

इससे कुछ दिनों पहले लोग सोने चांदी के गहने, बर्तन और दिवाली की पूजा के लिए मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश और प्रसाद के लिए खील और बताशे की खरीददारी करते हैं. दिवाली की पूजा कुछ सामानों के बिना अधूरी मानी जाती है. ऐसे में बेहतर है कि पूजा में इस्तेमाल होने वाले सामान की खरीददारी पहले से ही कर ली जाए ताकि आखिरी समय पर कोई भागदौड़ न करनी पड़े और आपकी पूजा अधूरी न रह जाए.

दिवाली पूजा की सामग्री

चावल, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, चूड़ी, काजल, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े, पेड़ा, मालपुए, इलायची(छोटी), लौंग, इत्र की शीशी, कपूर, केसर, सिंहासन, पीपल, आम और पाकर के पत्ते, औषधि जटामॉसी, शिलाजीत, लक्ष्मीजी की मूर्ति, गणेशजी की मूर्ति, सरस्वती का चित्र, चाँदी का सिक्का, लक्ष्मी-गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, जल कलश, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा,पंच रत्न, दीपक, दीपक के लिए तेल, पान का बीड़ा, श्रीफल,कलम, बही-खाता, स्याही की दवात, पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल), हल्दी की गाँठ, खड़ा धनिया, खील-बताशे, अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र, धूप बत्ती, चंदन आदि।


इस लिए मनाई जाती है दीवाली

पुराणों के अनुसार, त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम रावण का वध कर वापस अयोध्या लौटे थे तब वहां के लगों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था. इसी स्वागत को हर वर्ष लोग दिवाली के त्योहार के रूप में मनाते हैं. दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है. साथ ही पूरे घर को दीपों से सजाकर मां लक्ष्मी के आगमन का स्वागत किया जाता है.
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद खील और बतासे का प्रसाद बांटकर एक दूसरे को दिवाली की शुभकामनाएं दी जाती हैं. मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से मां लक्ष्मी घर में वास करती हैं. इससे व्यक्ति के घर में धन की कोई कमी नहीं रहती है.

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