लखनऊ। सीएम योगी वीर सावरकर पर लिखी किताब ‘सावरकर- एक भूले बिसरे अतीत की गूंज’ का विमोचन किया। इस दौरान सीएम योगी ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा है. सीएम योगी ने कहा है कि अगर वीर सावरकर की बात मानी जाती तो देश का विभाजन नहीं होता। उन्होंने कहा कि इतिहास में सावरकर के साथ न्याय नहीं किया गया।
वीर सावरकर की चर्चा होती है तो देश में 2 धाराएं देखने को मिलती
सीएम योगी ने कहा है कि वीर सावरकर की चर्चा होती है तो देश में 2 धाराएं देखने को मिलती हैं. एक धारा जो भारत को दुनिया की बड़ी ताकत के रूप में देखना चाहता है. उनके मन में उत्साह और उमंग होता है. दूसरी धारा जो भारत को भारत नहीं रहने देना चाहती। उनके मन में वीर सावरकर का नाम हताशा और निराशा के लिए व्याप्त है.
‘वीर सावरकर भारत माता के सच्चे सपूत थे’
सीएम योगी ने कहा, ‘वीर सावरकर का नाम आने से हम लोगों के लिए उत्साह इसलिए आता है क्योंकि पिछले समय में उनसे बड़ा देशभक्त, दार्शनिक, लेखक और कवि कोई नहीं हुआ. भारत माता के वे सच्चे सपूत थे, जिन्होंने देश के लिए दो दो कारावास की सज़ा भुगती थी. उनका लखनऊ और गोरखपुर से भी संबंध था. मेरे पूज्य दिग्विजयनाथ जी हिंदू महासभा के अध्यक्ष थे. उनका वीर सावरकर के साथ बहुत अच्छा संबंध था.’
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‘वीर सावरकर ने भारत को नई सोच दी- सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इतिहास में वीर सावरकर के साथ न्याय नहीं किया गया. ये भारत के हरेक उस महापुरुष के साथ हुआ है, जिसने भारत को नई सोच दी. आज भारत जिन मुद्दों के साथ आगे बढ़ रहा है, उन सब बातों को सावरकर ने 100 साल पहले उठाया था. उन्होंने कहा कि अगर सावरकर की बात मानी गई होती तो देश का कभी विभाजन नहीं होता. हमारा देश कभी आतंकवाद के प्रभाव में नहीं आता.
सावरकर का किया गया अपमान- सीएम
उन्होंने कहा कि आजाद भारत में अगर तत्काल वीर सावरकर को सम्मान देने का काम किया गया होता तो ये समस्याएं देखने को नहीं मिलती. सीएम योगी ने कहा, मैं जब सांसद था तो देश के एक केन्द्रीय मंत्री ने सेल्युलर जेल में वीर सावरकर की प्रतिमा को हटा दिया गया था. इस पर बड़ा विवाद खड़ा हुआ था. वीर सावरकर के ख़िलाफ बोला गया था, उनका अपमान किया गया था.
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व्याकरण के बहुत से शब्द वीर सावरकर की देन – सीएम
सीएम योगी ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौक़े पर महान क्रांतिकारी वीर सावरकर का स्मरण बहुत ख़ास है. चाटुकार इतिहास जब सिपाही विद्रोह कहकर बता रहे थे, तब विदेशी धरती पर बैठकर सावरकर ने कहा था कि ये भारत का स्वतंत्रता संग्राम है. व्याकरण के बहुत से शब्द वीर सावरकर की देन है, उसमें से एक हिंदुत्व शब्द भी है.