लखनऊ। आजादी के अमृत महोत्सव एवं चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की शृंखला में आधुनिक हिन्दी खड़ी बोली के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया।
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भारतेन्दु हरिश्चंद्र को दी श्रद्धांजलि
इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेन्दु हरिश्चंद्र को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
भारतीय संस्कृति और निज-भाषा के प्रति जगाई थी अलख
सीएम योगी ने ट्वीट कर लिखा कि, भारतीय संस्कृति और निज-भाषा के प्रति अलख जगाने वाले भारतीय नवजागरण के अग्रदूत, महान लेखक और आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह ‘भारतेन्दु’ हरिश्चंद्र की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के बारे में जानिए
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम ‘हरिश्चन्द्र’ था, ‘भारतेन्दु’ उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है।
उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है।
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भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण का चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया।
9 सितम्बर 1850 को काशी के वैश्य परिवार में हुआ था जन्म
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म 9 सितम्बर, 1850 को काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ। उनके पिता गोपालचंद्र एक अच्छे कवि थे और ‘गिरधरदास’उपनाम से कविता लिखा करते थे।
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