उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद में पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। उसावां थाना क्षेत्र में कथित रूप से पकड़े गए गौ तस्करों को छोड़ देने के आरोप ने पूरे जिले में चर्चा और नाराजगी का माहौल पैदा कर दिया है।

पशु प्रेमियों और बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने इस मामले में गंभीर आरोप लगाते हुए वरिष्ठ अधिकारियों से जांच की मांग की है।
बदायूं जिले के उसावां थाना क्षेत्र में 29 नवंबर को एक मामला सामने आया, जिसमें पशु प्रेमियों ने सूचना दी कि कुछ गौ तस्कर राजस्थानी भेष में गायों को पकड़कर ले जा रहे हैं।
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और संदिग्धों को थाने ले आई। लेकिन आरोप है कि थाना प्रभारी ने पकड़े गए तस्करों के खिलाफ कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की और उन्हें बिना मुकदमा दर्ज किए छोड़ दिया।
इस घटना के बाद पशु प्रेमी वी. केंद्र शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से उठाया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बदायूं व आईजी बरेली रेंज को पत्र भेजकर जांच और कार्रवाई की मांग की।
सहसवान पुलिस की सख्ती से तुलना
वहीं दूसरी ओर, सहसवान थाना पुलिस ने भी उसी दिन राजस्थानी वेशभूषा में मिले छह गौ तस्करों को लगभग 50 गोवंशों के साथ गिरफ्तार कर कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया।
इससे यह सवाल और गहरा गया है कि जहां एक थाना सख्त कार्रवाई कर रहा है, वहीं दूसरे थाना की लापरवाही क्यों?
पशु प्रेमियों में रोष
घटना के बाद बजरंग दल कार्यकर्ताओं और पशु प्रेमियों में भारी रोष है। उनका कहना है कि
“जब दूसरे थानों में तस्करों पर कार्रवाई हो रही है, तो उसावां पुलिस ने क्यों ढिलाई दिखाई? अगर पुलिस ही तस्करों को संरक्षण देगी, तो गौ संरक्षण की पहल कैसे सफल होगी?”
उन्होंने उसावां थाना प्रभारी के खिलाफ विभागीय जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जांच की मांग
वी. केंद्र शर्मा, जो लंबे समय से पशु संरक्षण के लिए सक्रिय हैं, ने कहा कि
“यह मामला सिर्फ लापरवाही का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और मिलीभगत का भी हो सकता है। प्रशासन को पारदर्शी जांच करनी चाहिए।”
उन्होंने यह भी अपील की कि जिले की ईमानदार पुलिस अधिकारी छवि को बचाने के लिए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
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