हमीरपुर जनपद के कुरारा थाना क्षेत्र के कुतुबपुर गांव में देर रात आगजनी की एक भयावह घटना ने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। बताया जा रहा है कि गांव स्थित गौशाला के बाहर रखी पराली में अचानक भीषण आग लग गई। कुछ ही मिनटों में आग इतनी भड़क उठी कि उसने आसपास के पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। तेज़ लपटों के बीच खड़ी एक वैन पूरी तरह जलकर राख हो गई। घटना में लाखों रुपये के नुकसान की संभावना जताई जा रही है।

घटना का क्रम
ग्रामीणों के अनुसार, मंगलवार देर रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे गौशाला के पास से अचानक धुआं उठने लगा। देखते ही देखते पराली में लगी चिंगारी ने विकराल रूप ले लिया। आग की लपटें इतनी तेज़ थीं कि कुछ ही मिनटों में आसमान तक धुआं छा गया। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत बाल्टी और पाइप से पानी डालकर आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन आग की तीव्रता के आगे उनके प्रयास नाकाम रहे।
गांव के कुछ युवाओं ने तत्काल इसकी सूचना कुरारा थाना पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी। सूचना मिलते ही दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। हालांकि, तब तक वैन और पूरी पराली जलकर खाक हो चुकी थी।
लाखों का हुआ नुकसान
आग की चपेट में आई वैन पूरी तरह नष्ट हो गई। वाहन के मालिक ने बताया कि उसमें कृषि कार्य से संबंधित सामान रखा हुआ था, जो सब जलकर राख हो गया। ग्रामीणों का अनुमान है कि इस घटना में करीब दो से ढाई लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
सौभाग्य से, गौशाला में बंधे मवेशियों को समय रहते बाहर निकाल लिया गया, जिससे एक बड़ी त्रासदी टल गई। ग्रामीणों ने बताया कि अगर आग कुछ और मिनटों तक अनियंत्रित रहती, तो पूरा गौशाला क्षेत्र इसकी चपेट में आ सकता था।
जांच में जुटा प्रशासन
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने मौके का निरीक्षण किया और आग लगने के कारणों की जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक तौर पर अनुमान लगाया जा रहा है कि आग किसी राहगीर द्वारा फेंकी गई जलती बीड़ी या माचिस की तीली से लगी होगी। हालांकि, पुलिस ने कहा है कि जांच रिपोर्ट के बाद ही वास्तविक कारण स्पष्ट हो पाएगा।
थाना प्रभारी ने बताया कि “दमकल विभाग की मदद से आग पर काबू पा लिया गया है। किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है, लेकिन संपत्ति को काफी नुकसान हुआ है। घटना की विस्तृत जांच की जा रही है।”
ग्रामीणों में दहशत, सुरक्षा की मांग
घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पराली के सुरक्षित निस्तारण की व्यवस्था की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही, ग्रामीणों ने क्षेत्र में रात के समय पुलिस गश्त बढ़ाने की भी मांग की है।
स्थानीय समाजसेवियों ने प्रशासन से यह भी आग्रह किया है कि आग से हुए नुकसान की भरपाई के लिए पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए।
निष्कर्ष
कुतुबपुर गांव की यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पराली के ढेर खुले में रखना कितना खतरनाक हो सकता है। इस तरह की घटनाएँ न केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि आसपास के जीव-जंतुओं और पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा बनती हैं। प्रशासन और ग्रामीणों के संयुक्त प्रयास से ही ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।
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