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उरई में नुमाइश और शराब ठेके का खतरनाक गठजोड़, महिलाओं व परिवारों की सुरक्षा पर गहरा संकट

जालौन जनपद से एक बेहद गंभीर और चिंता बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। उरई कोतवाली क्षेत्र के रामेश्वर चौराहा  इन दिनों विवादों और सवालों के घेरे में है। यहां चल रही नुमाइश और उसके बिलकुल पास स्थित शराब ठेके का अजीब, असामान्य और खतरनाक गठजोड़ स्थानीय लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन गया है।
नुमाइश जैसे पारिवारिक, सांस्कृतिक और मनोरंजन स्थल का शराब ठेके के साथ जुड़ जाना सामाजिक परिवेश, परिवारिक वातावरण और खासकर महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रहा है।

महिलाओं से अभद्रता बढ़ी, सुरक्षा व्यवस्था ठप

क्षेत्रवासियों के अनुसार जैसे ही शाम ढलती है, शराब ठेके से नशे में धुत्त लोग नुमाइश की तरफ निकलते हैं, जिससे माहौल बिल्कुल असुरक्षित हो जाता है।

  • महिलाओं पर छींटाकशी

  • दुर्व्यवहार की घटनाएँ

  • डर और असुरक्षा का वातावरण

  • बच्चों के साथ आए परिवारों में खौफ

  • नुमाइश जहां परिवारों के लिए मनोरंजन का स्थान होना चाहिए, वहीं अब यह शराबियों की भिड़ंत, शोर-शराबे और अव्यवस्था का केन्द्र बनता जा रहा है।

    पिछले वर्ष भी हुआ था बड़ा हादसा—फिर भी सबक नहीं लिया

    सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि पिछले वर्ष इसी नुमाइश स्थल के अंदर एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी
    उस घटना के बाद उम्मीद थी कि प्रशासन स्थान बदल देगा, सुरक्षा बढ़ाएगा, या शराब ठेके को नुमाइश से दूर रखेगा।
    लेकिन इस वर्ष फिर उसी जगह पर नुमाइश लगा दी गई, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश और भय का माहौल है।

शराब ठेके की मौजूदगी—किसी भी पल बड़ा हादसा संभव

भीड़भाड़ वाले नुमाइश क्षेत्र के बिलकुल पास शराब ठेका होना किसी बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण देने जैसा है।
लोगों का कहना है कि

  • भीड़ में शराबियों का धक्का-मुक्की

  • तेज आवाज में गाली-गलौज

  • झगड़े की आशंका

  • बच्चों और महिलाओं का असुरक्षित माहौल

हर दिन देखा जा रहा है।
लोगों के अनुसार यह कोई साधारण लापरवाही नहीं, बल्कि करोड़ों के राजस्व के पीछे सुरक्षा की खुली अनदेखी है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार शिकायतों के बावजूद अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। निरीक्षण के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई की जा रही है।
क्षेत्रवासी प्रशासन की इस चुप्पी को “मौन सहमति” और “गठजोड़” के रूप में देख रहे हैं।

परिवार और समाज दोनों पर असर

नुमाइश जहां पहले बच्चों और परिवारों के लिए खुशी का कारण हुआ करती थी, वहीं अब लोग महिलाओं और बेटियों को साथ लाने में डर महसूस करने लगे हैं।
कई परिवारों ने आरोप लगाया कि नुमाइश का माहौल इस बार इतनी तेजी से बिगड़ा है कि

    • महिलाएं जाना बंद कर चुकी हैं,

    • बच्चे गलियों में नहीं निकल रहे,

    • और दुकानदार भी तनाव में व्यवसाय कर रहे हैं।

क्षेत्रवासियों की मांग—तुरंत कार्रवाई हो

स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि

  • शराब ठेके को नुमाइश क्षेत्र से हटाया जाए,

  • सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाए,

  • भीड़भाड़ में गश्त बढ़ाई जाए,

  • और नुमाइश को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाया जाए।

लोगों का स्पष्ट कहना है कि यह सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि एक खतरनाक व्यवस्था है, जिसे रोके बिना कोई भी बड़ी घटना टाली नहीं जा सकती।

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